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स्वभाव परिवर्तन की प्रक्रिया है ध्यान
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में, प्रेक्षा फाउंडेशन के निर्देशन और तेरापंथ सभा के तत्वावधान में, डायमंड सिटी साउथ में त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि मनुष्य का मन चंचल होता है और इसे स्थिर करने के अनेक उपायों में से एक है ध्यान। ध्यान स्वभाव परिवर्तन की प्रक्रिया है, जिससे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। ध्यान से व्यक्ति ऊर्जा संपन्न होता है और यह भारतीय संस्कृति की आत्मा है। दुनिया में अनेक ध्यान साधना पद्धतियां हैं, जिनमें प्रेक्षाध्यान एक विशिष्ट विधा है। प्रेक्षाध्यान का अर्थ है गहराई से देखना—किसी एक वस्तु पर मन को केंद्रित करना, निर्विचारता और जागरूकता को विकसित करना। ध्यान ज्योति और प्रकाश स्वरूप है। मुनि श्री ने आगे कहा कि मनुष्य का अंतिम ध्येय आत्मा का साक्षात्कार करना है, और ध्यान इसी की प्रक्रिया है। कार्यशाला के दौरान मुनि श्री ने प्रेक्षाध्यान के प्रयोग करवाए। प्रेक्षा प्रशिक्षिका मंजु सिपाणी, रश्मि सुराणा और अंजु कोठारी ने प्रशिक्षण और प्रयोग करवाए। सभा अध्यक्ष अशोक पारख ने स्वागत भाषण दिया। कार्यशाला में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।