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त्रिदिवसीय प्रेक्षा प्रशिक्षक कार्यशाला का हुआ आयोजन
त्रिदिवसीय प्रेक्षा प्रशिक्षक कार्यशाला की शुरुआत नमस्कार महामंत्र से मुनि श्री धर्मेश कुमार जी द्वारा हुई। कार्यशाला में मुंबई से 21 प्रशिक्षकों की उपस्थिति रही। इस कार्यशाला में विशेष उपस्थिति मुंबई से समागत वरिष्ठ प्रेक्षा प्रशिक्षक एन.सी.जैन, वरिष्ठ प्रेक्षा प्रशिक्षिका मालती जैन एवं मुद्रा विज्ञान विशेषज्ञ वरिष्ठ प्रेक्षा प्रशिक्षक पारस दुग्गड की रही। संस्थान के मुख्य प्रबंधक महावीर कुमार द्वारा स्वागत वक्तव्य दिया गया। उद्घाटन सत्र में मुनि धर्मेशकुमार जी द्वारा मंत्र साधना में महाप्राण ध्वनि के साथ मंत्र प्रेक्षा का प्रयोग करवाया गया एवं मंच का सुचारू व कुशल संचालन कार्यशाला व्यवस्थापक गौरव बरमेचा द्वारा किया गया। आभार ज्ञापन पवन गादिया द्वारा किया गया।
प्रशिक्षण सत्र में कार्यशाला में प्रणव ध्यान, अन्यत्व अनुप्रेक्षा (भेद विज्ञान) एवं कायोत्सर्ग के प्रयोगों के साथ मुनिश्री ने 7 वर्ष एवं 21 वर्ष की आगामी उल्लेखनीय उत्तरोत्तर आध्यात्मिक विकास हेतु विशेष साधना योजना को भविष्य के लिये मार्गदर्शित किया। इस कार्यशाला में जैन एवं जैनेतर लोगों ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया। 21 प्रशिक्षकों के अलावा स्थानीय 7 लोगों ने सहभागिता दर्ज कराई। प्रतिदिन दिवस का शुभारंभ मंत्र साधना एवं यौगिक क्रियाओं के साथ हुआ एवं प्रतिदिन 3 बार कायोत्सर्ग के प्रयोग में साधकों ने लेटकर, बैठकर एवं खड़े होकर विशेष 5 चरणों का प्रयोग करते हुए भेद विज्ञान की अनुभूति की। मुनिश्री ने प्रेक्षाध्यान के पांच आधार स्तंभों भावक्रिया, प्रतिक्रिया विरति, मैत्री, मिताहार, और मितभाषण का जीवन में महत्व बताया।