मंगल भावना समारोह का आयोजन

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मंगल भावना समारोह का आयोजन

तेरापंथ धर्म संघ में वर्तमान अधिशास्ता द्वारा उद्घोषित चातुर्मासों की श्रृंखला में गत वर्ष सन् 2024 में मुनि मोहजीत कुमारजी आदि ठाणा-3 के चिकमंगलूर में चातुर्मास के पूर्व एवं उत्तर प्रभाग में 171 दिनों के प्रवास के बाद चिकमगलूर प्रस्थान समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में श्रावक समाज को संबोधित करते हुए मुनि मोहतीज कुमारजी ने कहा- पूज्य आचार्यश्री महाश्रमण द्वारा निर्देशित कर्नाटक यात्रा के अन्तर्गत चिकमगलूर के चातुर्मास में संघीय, आध्यात्मिक आयोजनों के साथ त्याग, तपस्या, स्वाध्याय, ध्यान और प्रेरणा प्रवाह का उपक्रम व्यवस्थित चला।
चातुर्मास काल में निर्ग्रन्थ दर्शन कार्यशाला, भक्तामर कार्यशाला, कन्या-किशोर, महिला, तेयुप, टीपीएफ आदि कार्यशालाओं का सम्यक् क्रम चला। अनेक प्रकार के अनुष्ठानों, विविध आयामी संगोष्ठियां, ज्ञानशाला का रजत जयन्ती समारोह, दैनन्दिन उपक्रमों के प्रवाह आदि यथाक्रमों का नियोजन कालक्रम से योजित हुआ। तेरापंथ हस्तकला प्रदर्शनी एवं विघ्नहर ह्वींकार अनुष्ठान का अभिक्रम कर्नाटक के इतिहास में प्रथम बार हुआ। चातुर्मास कालक्रम में श्रावक-श्राविकाओं, युवक-युवतियों,किशोरों-कन्याओं, सभा, तेयुप, महिला मण्डल, टीपीएफ और अणुव्रत समिति के कार्यकर्ताओं का उत्साह चातुर्मास को ऐतिहासिकता प्रदान कर रहा था। चिकमगलूर प्रस्थान समारोह में अपनी भावाभिव्यक्ति प्रकट करते हुए मुनि भव्य कुमारजी ने कहा- श्रावक समाज में सामाजिक एवं आध्यात्मिक गतिविधियों के सम्यक नियोजन की उमंग दर्शनीय रही। इस चातुर्मास काल की ऐतिहासिकता में एक नया पृष्ठ जुड़ा। उस पृष्ठ में मुनि मोहजीत कुमार जी के संयम जीवन की पचास वर्षों की सम्पूर्णता पर संयम स्वर्ण जयन्ती का आयोजन अतुलनीय हुआ। गुरु दृष्टि एवं निर्देश के अनुसार कर्नाटक की यात्रा के प्रथम अवसर में प्रथम चातुर्मास गुरुकृपा से प्रभावी रहा। अब अग्रिम क्रम में भी त्याग, संयम, उपासना आदि में उत्साह प्रवर्धमान रहे।
मुनि जयेश कुमारजी ने कहा- चातुर्मास प्रवेश के बाद ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप, और पुरुषार्थ का दौर सघनता के साथ प्रारम्भ हुआ। इस काल में आध्यात्मिक गतिविधियों के योग से समाज की अनेक इकाईयों में जिज्ञासा एवं जागरुकता का संचार हुआ। मुनिश्री ने विशेष प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा- हम केवल अतीत के गीत ही नहीं गाए, उससे प्रेरणा पाथेय लें तथा वर्तमान जीवन को सम्यक दिशा दें। जिसका वर्तमान सम्यक होगा उसका भविष्य भी उज्जवल होगा। इस चातुर्मास का प्रखर संदेश था- शुभ भविष्य है सामने। हमें भविष्य की शुभता के लिए वर्तमान को शुभ बनाना होगा। कर्नाटक राज्य की पर्वतीय श्रृंखला में सर्वोच्च शिखर माला मुलयंगिरि पर मुनिवरों द्वारा शिखर आरोहण के साथ वहां पर सिद्ध शिखर अनुष्ठान का भव्य आयोजन भी अनूठे स्वरूप में मुखरित हुआ।
मंगलभावना समारोह तथा चिकमगलूर प्रस्थान समारोह में समाज की क्षेत्रीय इकाई संस्थाओं के प्रमुख पदाधिाकारियों एवं सक्रिय कार्यकर्ताओं, सजग सेवा दायित्वों तथा नवोदित वक्ताओं ने अपने विचारों-भावों से गुरुवर तथा मुनिवरों के प्रति भाव अभ्यर्थना प्रकट की। चिकमगलूर अलविदा के समय सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति चातुर्मास की शिखर सफलता का दिग्दर्शन करवा रही थी।