विकास महोत्सव के विविध आयोजन विकास के श्लाका पुरुष थे आचार्यश्री तुलसी
नाथद्वारा
शासनश्री मुनि रविंद्र कुमार जी के सान्निध्य में 29वाँ विकास महोत्सव मनाया गया। मुनि अतुल कमार जी ने कहा कि जीवन पर्यन्त चलने वाली निरंतर प्रक्रिया को विकास कहते हैं। परिवर्तन की क्रमिक शंृखला ही विकास है। हर वस्तु या प्राणी में कुछ न कुछ मूल या गुण विशेष रूप से होते हैं। पर आरंभ में ये छिपे रहते हैं। अवसर व आयु के अनुसार इन गुणों को बाहर दिखाई देने का अवसर मिलता है। ये धीरे-धीरे बाहर आ जाते हैं तथा बढ़ने लगते हैं। आंतरिक गुणों का बाहरी रूप में बढ़ना ही विकास कहलाता है।
आचार्य तुलसी विकास पुरुष थे। जिन्होंने तेरापंथ धर्मसंघ को कई आयाम दिए, जिससे संघ एवं समाज में नई जागृति हुई। आचार्य तुलसी ने अपने जीवनकाल में ही आचार्य पद का विसर्जन करके अपने उत्तराधिकारी महाप्रज्ञ जी को आचार्य बना दिया था तथा कहा कि मैं मुनि तुलसी ही रहना चाहता हूँ। आचार्य महाप्रज्ञ के उर्वर मस्तिष्क ने आचार्य तुलसी की आज्ञा से कहा कि हम आज के दिन को विकास महोत्सव के रूप में मनाएँगे, क्योंकि आप विकास पुरुष हैं तथा आपने तेरापंथ धर्मसंघ में अनेक तरह के विकास के कीर्तिमान बनाए।
मुनि रविंद्र कुमार जी ने मंगलपाठ सुनाया। विकास महोत्सव कार्यक्रम में तेरापंथ महिला मंडल ने मंगलाचरण गीतिका की प्रस्तुति दी। तेयुप अध्यक्ष दीपेश धाकड़ ने विचार रखे। कमलेश कुमार धाकड़ ने विकास गीत का संगान किया। शांता बाफना एवं पुष्पा तलेसरा ने विचार रखे। राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया ने मुनिद्वय के दर्शन एवं उनसे वार्तालाप की। तेरापंथ समाज की ओर से उनका स्वागत व सम्मान किया गया। कार्यक्रम में अच्छी संख्या में उपस्थिति रही।