तप अभिनंदन समारोह

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तप अभिनंदन समारोह

बैंगलोर।
तेरापंथ सभा भवन में तप अभिनंदन समारोह में मुनि अर्हत कुमार जी ने कहा कि भगवान महावीर ने मुक्ति के चार सोपान बताए, उसमें चौथा सोपान हैµतप। तप वह प्रकाश पुंज है जिसके आलोक से आत्मा आलोकित होकर नई रश्मियों को प्राप्त करती है। तप वह मंगल कलश है जिसे पीने वाला अपने जीवन को मंगलमय बना लेता है।
तप के अनेक प्रकार हैं, जिसमें एक विशिष्ट प्रकार हैµआयंबिल। आयंबिल तप करना अर्थात अपनी रसना पर विजय प्राप्त करना। इस तप की आराधना करने से आधि-व्याधि का विनाश होता है और परम समाधि को व्यक्ति प्राप्त करता है। बहन रेखा ने आयंबिल का मासखमण कर अपने मजबूत मनोबल का परिचय दिया है। पहले तपस्या का मासखमण अब आयंबिल का मासखमण एक विशेष बात है। इसी प्रकार तप के क्षेत्र में बढ़ते रहें।
मुनि भरत कुमार जी ने कहा कि जो बनता है तप से तल्लीन, वह देखता है मुक्ति का सीन, जीवन हो जाता है रंगीन, कर्म हो जाते उसके विलीन। बाल संत जयदीप कुमार जी ने गीत का संगान किया। सभा अध्यक्ष कमल सिंह दुगड़ ने विचार व्यक्त किए। अभिनंदन पत्र का वाचन प्रकाश चंद लोढ़ा और साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी के संदेश का वाचन कन्हैलाल सिंघवी ने किया। परिवार की ओर से गीतिका का संगान किया गया।