राष्ट्रहित के लिए अणुव्रत का व्यापक प्रचार प्रसार करना अत्यन्त जरूरी
गांधी प्रतिष्ठान भवन राष्ट्रहित चिंतक मंच के द्वारा स्वतंत्रा दिवस पर एक संगोष्ठी का आयोजन साध्वी कुन्दनरेखा जी के सान्निध्य में रखा गया। साध्वी कुन्दनरेखा ने उस अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा- स्वतंत्रता मानव मात्र का जन्म सिद्ध अधिकार है। इसके बावजूद स्वतंत्रता के सही मायने यदि समझ में आ जाये तो युग की धारा को बदला जा सकता है। साधिक 75 वर्ष पूर्व गुरूदेव तुलसी ने दुनियां के सम्मुख अणुव्रत आन्दोलन का सूत्रपात किया था। छोटे-छोटे नियमों से आवद्ध यह आन्दोलन नैतिक मूल्यों की सुरक्षा करता है। इंसान को इंसान की पहचान कराता है। जीने की कला सिखाता है। स्वतंत्रता अर्थात किसी का भी अहित किए बिना, नैतिक मूल्यों की सुरक्षा करता हुआ मनुष्य अपने मानवीय मूल्यों को स्थिर रखता हुआ आगे बढ़ाया है। आवश्यक है राष्ट्रहित के लिए उसका अत्यधिक प्रचार और प्रसार हो। राष्ट्रहित चिंतन मंच के द्वारा यह आयोजित संगोष्ठी निष्पत्ति के कगार पर पहुंचेगी। मानव में मानवीय मूल्यों को स्थापित कर भारत भूमि में अध्यात्म की ऊचाईयों को स्पर्श करेगी।
इस संगोष्ठी का प्रारंभ कन्याओं के स्वतत्रता गीत से हुआ। कार्यक्रम का संचालन संजय भाई ने किया। इस संगोष्ठी में मुख्य रूप से आयुर्वेदायार्य डॉ. धर्म सिंह कौशिक, दिल्ली नागरिक सुरक्षा के प्रभारी सुमेर बल्हारा विद्याभारती के अमरदीप पर्यावरण विद् मोनू चौधरी, कवि रजनीश शर्मा, धनश्याम निरंकारी, हंसलोक आश्रम के विपिन मंडल, पंजाब के पूर्व प्रिंसपल राजेश सेजवाल, योगाचार्य इन्द्रजीत विशारद, अभिनेता बसंत कुमार, मीडियाकर्मी मनोज कुमार थे। द क्रिएटिव टैलेंट डाँस एकेडमी के बच्चों ने अणुव्रत गीत की सुन्दर प्रस्तुति दी। विजय सिगला प्रिंसपल ने 22 विषयों में एम. ए. कर नया रिकॉर्ड दर्ज किया। वे भी उपस्थित थे। संचालन राजेश कश्यप, विनोद आर्य ने किया। साध्पी कल्याणयशा ने ‘शांति का संदेश’ गीत का सुमधुर संगान किया।
साध्वी सौभाग्ययशा जी ने कहा -अणुव्रत एक ऐसा अभियान है जो जाति, लिंग, भेद से उपर उठकर मानव को सही रास्ता दिखता है। आत्मबल को जगाता है और मनुष्य में मनुष्यता होने का विवेक जगाता है।