जो साधु खा-पीकर दिन में आराम से सोता रहता है और शरीर से भारी भरकम बना हुआ है। गोचरी और विहार के समय ऐसा लगता है मानो रावले के कोतल चल पड़े हैं।

- आचार्य श्री भिक्षु महाराज

स्वाध्याय

धर्म है उत्कृष्ट मंगल

-आचार्यश्री महाश्रमण

20 January - 26 January 2025

धर्म है उत्कृष्ट मंगल

संस्थाएं

श्रमण महावीर

-आचार्यश्री महाप्रज्ञ

20 January - 26 January 2025

श्रमण महावीर

स्वाध्याय

संबोधि

-आचार्यश्री महाप्रज्ञ

20 January - 26 January 2025

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