आध्यात्मिक अनुष्ठानों एवं नव संकल्पों के साथ हुआ नव वर्ष 2025 का आगाज
नये वर्ष प्रवेश पर चम्पालाल चोरड़िया के मकान के विशाल हॉल में आयोजित कार्यक्रम में 'शासनश्री' मुनि विजयकुमार जी ने उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए कहा- हमारा जीवन नये और पुराने का संगम स्थल है। नया व्यक्तित्व सामने आने पर भी पुरानी पहचान पूरी तरह मिटती नहीं है। समय बीत जाता है, वह वापस नहीं आता है। अपने पदचिन्ह पीछे छोड़ जाता है, उसकी यादें भर जाती हैं। कैलेंडर ही नहीं और भी अनेक चीजें बदलती है लेकिन मनुष्य नहीं बदलता। नये वर्ष प्रवेश पर हर व्यक्ति संकल्प ले कि मुझे अपने आपको बदलना है। अपने स्वभाव को बदलना है। जो इस कला में निष्णात हो जाता है वह सबका प्रिय और आदरास्पद बन जाता है। ऐसे व्यक्ति के आगे स्वतः सिर झुक जाता है। मनुष्य दूसरों को तो बदलना चाहता है लेकिन स्वयं को नहीं बदलता है। समय के साथ मनुष्य भी अपने आपको बदल ले तो उसका जीवन स्वस्थ और सुखी बन जाये। मुनिश्री ने नये वर्ष प्रवेश पर प्रासंगिक गीत 'मंगलमय नव वर्ष' गीत का संगान किया। वृहद् मंगलपाठ सुनाकर सबके समाधिमय जीवन जीने की मंगल भावना प्रेषित की।