मन, वचन व काया की प्रवृत्ति योग है। राग-द्वेष मुक्त प्रवृत्ति में योग उजले होते हैं। जबकि राग-द्वेषयुक्त प्रवृत्ति में योग मलिन होते हैं।
- आचार्य श्री भिक्षु महाराज
गुरुवाणी/ केन्द्र
साधु के पास संयम की संपदा होती है : आचार्यश्री महाश्रमण
भीलवाड़ा, 15 नवंबर, 2021
22 Nov - 28 Nov 2021
गुरुवाणी/ केन्द्र
कोरे ज्ञान से नहीं आचरण के संयोग से सम्मान मिलता है : आचार्यश्री महाश्रमण
भीलवाड़ा, 14 नवंबर, 2021
22 Nov - 28 Nov 2021
गुरुवाणी/ केन्द्र
काम और अर्थ पर धर्म का अंकुश रहना चाहिए : आचार्यश्री महाश्रमण
भीलवाड़ा, 13 नवंबर, 2021
22 Nov - 28 Nov 2021
गुरुवाणी/ केन्द्र
ईमानदारीपूर्वक व्यापार करना भी धर्म का एक स्वरूप है : आचार्यश्री महाश्रमण
भीलवाड़ा, 10 नवंबर, 2021
22 Nov - 28 Nov 2021
गुरुवाणी/ केन्द्र
व्यक्ति को पापों से बचने का प्रयास करना चाहिए : आचार्यश्री महाश्रमण
भीलवाड़ा, 8 नवंबर, 2021
22 Nov - 28 Nov 2021
गुरुवाणी/ केन्द्र
आरंभ और परिग्रह छोड़ने से प्रशस्त होता है आत्मकल्याण का मार्ग : आचार्यश्री महाश्रमण
भीलवाड़ा, 9 नवंबर, 2021
22 Nov - 28 Nov 2021
गुरुवाणी/ केन्द्र
कृत कर्मों का फल स्वयं को ही भोगना पड़ता है : आचार्यश्री महाश्रमण
भीलवाड़ा, 11 नवंबर, 2021
22 Nov - 28 Nov 2021
गुरुवाणी/ केन्द्र
दुनिया में सबसे ज्यादा गतिशील है आदमी का मन : आचार्यश्री महाश्रमण
भीलवाड़ा, 12 नवंबर, 2021
22 Nov - 28 Nov 2021