मन, वचन व काया की प्रवृत्ति योग है। राग-द्वेष मुक्‍त प्रवृत्ति में योग उजले होते हैं। जबकि राग-द्वेषयुक्‍त प्रवृत्ति में योग मलिन होते हैं।

- आचार्य श्री भिक्षु महाराज

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