मींगणों की अग्नि जैसे-जैसे जलती है वैसे-वैसे ताप बढ़ता है। उसी प्रकार जैसे-जैसे कामभोग भोगे जाते हैं, वैसे-वैसे उनकी तृष्णा बढ़ती जाती है।

- आचार्य श्री भिक्षु महाराज

स्वाध्याय

श्रमण महावीर

-आचार्यश्री महाप्रज्ञ

21 July - 27 July 2025

श्रमण महावीर

स्वाध्याय

संबोधि

-आचार्यश्री महाप्रज्ञ

21 July - 27 July 2025

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रचनाएं

आचार निष्ठा की महाज्योत : आचार्यश्री भिक्षु

‘शासनश्री’ साध्वी पानकुमारी (प्रथम) श्रीडूंगरगढ़

21 July - 27 July 2025

आचार निष्ठा की महाज्योत : आचार्यश्री भिक्षु
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