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आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन
जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के संस्थापक परम पूज्य आचार्य श्री भिक्षु की जन्म त्रिशताब्दी समारोह के तृतीय दिवस पर तेरापंथ भवन गंगाशहर में उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी ने 'तेरापंथ का उद्भव' विषय पर अपना उद्बोधन प्रदान करते हुए कहा कि तेरापंथ का प्रारंभ वि.स. 1817 की आषाढ़ी पूर्णिमा से होता है। उसी दिन आचार्य भिक्षु ने नए सिरे से व्रत ग्रहण किए, इस प्रकार उनकी भावदीक्षा के साथ ही तेरापंथ का सहज प्रवर्तन हुआ। मुनिश्री ने कहा कि महापुरुषों का अंतःकरण परमार्थ से परिपूर्ण होता है। वे जैसा अपना हित चाहते हैं, वैसा ही दूसरों का भी। आचार्य भिक्षु को जो श्रेय मार्ग मिला, उसे उन्होंने दूसरों को भी दिखाना चाहा। मुनिश्री ने श्रावकों को प्रेरणा देते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को इसका अध्ययन करना चाहिए, जिससे श्रद्धा और विश्वास के साथ जुड़ा जा सके एवं जैन दर्शन के सिद्धांतों को जीवन व्यवहार में धारण किया जा सके। तेरापंथ आस्था, विश्वास और समर्पण का धर्मसंघ है। गुरु के प्रति अटूट आस्था, धर्मसंघ के प्रति विश्वास और जिनवाणी के प्रति समर्पण की त्रिवेणी व्यक्ति को उच्चता प्रदान करती है। भीखण जी स्वामी सत्यनिष्ठ साधक संत थे। उन्होंने अहिंसा, संयम और तप के द्वारा आत्मकल्याण की प्रेरणा दी। तेरापंथ धर्मसंघ के सभी आचार्य चतुर्विध धर्मसंघ का योगक्षेम करते आए हैं, जिससे यह विशाल वटवृक्ष के रूप में विकसित हो सका है। इस अवसर पर मुनि श्रेयांसकुमारजी ने गीत का मधुर संगान किया। उपासक राजेन्द्र सेठिया ने आचार्य भिक्षु के सिद्धांतों एवं तेरापंथ दर्शन पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में गणेशमल बोथरा, जतनलाल दूगड़, जतनलाल संचेती, धर्मेन्द्र डाकलिया, मांगीलाल बोथरा, श्रीया देवी गुलगुलिया, मनोज छाजेड़, राजेन्द्र बोथरा, मनीष बाफना, कनक गोलछा, गरिमा भंसाली, सुनीता दूगड़ एवं प्रियंका बैद ने गीतिका, कविताओं और वक्तव्यों के माध्यम से तेरापंथ धर्मसंघ की स्थापना के संबंध में अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। इस अवसर पर लाभचन्द आंचलिया ने 33 दिन की, तथा महावीर फलोदिया, सम्पत सांड, शारदा देवी मरोटी ने 11 दिन की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। अनेक भाई-बहनों ने उपवास से 6 दिन की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। सरोज देवी पारख ने 33 दिन का एकासन, तथा अनेक भाई-बहनों ने 1 से 11 दिन तक के एकासन का प्रत्याख्यान किया। तीनों ही दिन का रात्रिकालीन कार्यक्रम सेवाकेन्द्र व्यवस्थापिका साध्वी विशदप्रज्ञा जी एवं साध्वी लब्धियशा जी के सान्निध्य में शांतिनिकेतन में आयोजित हुआ।