ज्ञान रूपी शुद्ध साबुन, तप रूपी निर्मल जल, अंतर आत्मारूपी धोबी। इनसे निज गुण रूपी वस्त्र उजला हो जाता है।

- आचार्य श्री भिक्षु महाराज

स्वाध्याय

श्रमण महावीर

-आचार्यश्री महाप्रज्ञ

28 April - 04 May 2025

श्रमण महावीर

स्वाध्याय

संबोधि

-आचार्यश्री महाप्रज्ञ

28 April - 04 May 2025

संबोधि

विविध

नामकरण संस्कार

साउथ कोलकाता।

28 April - 04 May 2025

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