उझिया और भोगवती को घर सौंपने पर वे खजाने को बर्बाद कर देती हैं। उसी प्रकार अविनीत को गण सौंपने पर वह गण की आभा को धूमिल कर देता है।1

- आचार्य श्री भिक्षु