अपने मत की प्रशंसा करने वाले कहते हैं-अपने-अपने सांप्रदायिक अनुष्ठान में ही सिद्धि होती है, दूसरे प्रकार से नहीं होती।

- आचार्य श्री भिक्षु महाराज

स्वाध्याय

श्रमण महावीर

आचार्य महाप्रज्ञ

05 August - 11 August 2024

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संबोधि

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