अध्यात्म का दीप करना है जप, तप और स्वाध्याय से प्रज्वलित

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अध्यात्म का दीप करना है जप, तप और स्वाध्याय से प्रज्वलित

आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी शकुन्तलाकुमारीजी आदि साध्वी वृंद ने विशाल सद्‌भावना यात्रा के साथ विशनद‌याल गोयल फ्लैट, विलेपार्ले में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश किया। नमस्कार महामंत्र के संगान के पश्चात 'शासनश्री' साध्वी सोमलता जी द्वारा रचित गीत 'शांति रहेगी आठों याम' का संगान एवं जप प्रयोग किया गया। विलेपार्ले व सांताक्रुज महिला मंडल, तेयुप डोंबिवली, रेणु कोठारी, ज्ञानशाला के बच्चों ने गीत के माध्यम से स्वागत किया। गुरुदेव के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए साध्वी शकुन्तलाकुमारीजी ने कहा- यह चतुर्मास 'शासनश्री' साध्वी सोमलताजी का है। इस चातुर्मास में अध्यात्म का दीप जप, तप और स्वाध्याय से प्रज्वलित करना है। गुरुदेव की शक्ति से व उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी की प्रेरणा से व आप सभी की धार्मिक आराधना से यह चतुर्मास ऐतिहासिक बने। साध्वीश्री ने गोयल परिवार की सेवा को प्रशंसनीय बताया। साध्वी संचितयशाजी, साध्वी जागृतप्रभाजी व साध्वी रक्षितयशाजी ने अपने विचारों को 'अजब गजब मॉल' के दृश्य से व गीत से व्यक्त किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन अनिल बाफना एवं आभार ज्ञापन तेयुप मंत्री राकी कोठारी ने किया।