जैसे कछुआ अपने अंगों को अपने शरीर में समेट लेता है, इसी प्रकार पंडित पुरुष अपनी आत्मा को पापों से बचा अध्यात्म में ले जाए।

- आचार्य श्री भिक्षु महाराज

स्वाध्याय

धर्म है उत्कृष्ट मंगल

-आचार्यश्री महाश्रमण

15 April - 21 April 2024

धर्म है उत्कृष्ट मंगल

स्वाध्याय

श्रमण महावीर

-आचार्यश्री महाप्रज्ञ

15 April - 21 April 2024

श्रमण महावीर

स्वाध्याय

संबोधि

-आचार्यश्री महाप्रज्ञ

15 April - 21 April 2024

संबोधि

रचनाएं

'शासनश्री' साध्वीश्री सोमलता जी के प्रति चारित्रात्माओं के उद्गार

– सुदीर्घजीवी साध्वी बिदामां – साध्वी उज्ज्वलरेखा

15 April - 21 April 2024

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रचनाएं

आगम रत्नाकर है

डॉ. साध्वी परमयशा

15 April - 21 April 2024

आगम रत्नाकर है
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