अहंकार विसर्जन, सहनशीलता और आपसी सामंजस्य सुखी दाम्पत्य जीवन के मंत्र
आचार्यश्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी संगीतश्री जी ठाणा-4 के सानिध्य में गुरुग्राम में दाम्पत्य शिविर का आयोजन किया जिसमें लगभग 31 जोड़ों ने भाग लिया। साध्वी संगीतश्री जी ने कार्यक्रम का प्रारंभ सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए कुछ विशेष संकल्पों से करवाया। आपने कहा - एक रथ के दो पहिए हैं अगर एक पहिया खराब हो जाता है या रथ के एक पहिया रह जाता है तो वह रथ कोई काम का नहीं रहता। उसी तरह पति-पत्नी एक रथ के दो पहिए हैं दोनों का साथ रहना जरुरी है तभी जीवन की गाड़ी अच्छी तरह से चल सकती है। दाम्पत्य जीवन अच्छा हो इसके लिए सहनशीलता, अहंकार विसर्जन, संशयात्मक प्रवृत्ति को दूर रखना तथा सहजता, सहनशीलता आदि गुण आ जाए तो परिवार सही रह सकता है। रिश्ता और शीशा दोनों बड़े नाजुक होते हैं फर्क सिर्फ इतना होता है कि शीशा गलती से टूटता है और रिश्ता गलतफहमी से टूटता है। इसी क्रम में साध्वी शांतिप्रभाजी, साध्वी कमलविभा जी व साध्वी मुदिताश्री जी ने शांत सहवास के अनेकानेक उपाय बताते हुए कहा कि दाम्पत्य जीवन में माता-पिता के साथ एवं आशीर्वाद का विशेष महत्व रहता है।
साध्वीश्री ने दांपत्य जीवन के लिए ‘कोई बात नहीं’ और ‘यह भी बीत जाएगा’ का विशेष मंत्र प्रतिदिन स्मरण रखने के लिए कहा। इन मंत्रों के स्मरण से दाम्पत्य में हर समय सुख शांति बनी रह सकती है। आखिर में साध्वीश्री ने रोचक तरीके से सभी जोड़ों को एक गेम खिलाया जिसमें तेरापंथ धर्म संघ की जानकारियां भी सभी को मिली।कार्यक्रम में सभा अध्यक्ष विमल सेठिया ने अपना आभार व्यक्त किया। विवेक जैन, रूबी बाफना, महिला मंडल अध्यक्ष कुसुम जैन आदि का सहयोग प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में लगभग 125 लोगों की उपस्थिति रही ।