असाधारणता की प्रतिमा शासनमाता का पुण्य स्मरण
परमपूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी द्वारा प्रदत्त मंत्र ‘ऊं हीं श्रीं शासनमात्रे नमः’ से महरौली, दिल्ली में स्थित वात्सल्य पीठ प्रातः काल से ही गुंजायमान हुआ। साध्वीश्री संगीतश्री जी ठाणा 4, समणी निर्देशिका डॉ. मंजूप्रज्ञाजी ठाणा 3 के सान्निध्य में शासनमाता साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी की द्वितीय पुण्यतिथि का आयोजन अत्यन्त श्रद्धा और गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ। जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा दिल्ली के तत्त्वावधान में मंत्रोच्चार कार्यक्रम के उपरान्त महाप्रज्ञ सभागार में भावांजलि कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल उत्तरी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली और मध्य दिल्ली की बहनों के मंगलाचरण से हुआ। दक्षिण दिल्ली सभाध्यक्ष हीरालाल गेलड़ा का स्वागत भाषण व दक्षिण दिल्ली महिला मंडल द्वारा गीत की प्रस्तुति हुई।
गुरूग्राम सभा अध्यक्ष बिमल सेठिया, नरपत दुगड़, अणुव्रत समिति की ओर से बाबूलाल दुगड़, तेयुप दिल्ली के मंत्री अमित डूंगरवाल, पूर्वी दिल्ली श्रावक समाज की ओर से सुभाष सेठिया आदि ने भावभिव्यक्ति दी। दिल्ली सभा व गुरुग्राम समाज के सदस्यों ने गीतों के माध्यम से शासनमाता के जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया। वात्सल्य पीठ प्रकल्प के समन्वयक लक्ष्मीपत बोथरा ने प्रकल्प प्रगति की जानकारी दी। दिल्ली सभा के अध्यक्ष सुखराज सेठिया ने तीन आचार्यों के शासनकाल में धर्मसंघ की सेवा करने वाली शासनमाता को असाधारणता का प्रतिमान बताया। साध्वी संगीतश्रीजी व समणी डॉ. मंजूप्रज्ञाजी ने साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभाजी के व्यक्तित्व और कर्तृत्व पर संस्मरणात्मक प्रकाश डाला। उनकी सीख को जीवन में उतारने की प्रेरणा दी।
साध्वी शांतिप्रभाजी, साध्वी कमलविभाजी, साध्वी मुदिताश्रीजी, समणी स्वर्णप्रज्ञाजी व समणी हंसप्रज्ञाजी ने शासनमाता से प्राप्त वात्सल्य की चर्चा करते हुए भावांजलि अर्पित की। दिल्ली सभा के महामंत्री प्रमोद घोड़ावत ने काव्यमय संचालन किया। कार्यक्रम की आयोजना के प्रमुख संदीप डूंगरवाल ने आभार ज्ञापन किया।