'शासनश्री' साध्वीश्री सोमलता जी के प्रति चारित्रात्माओं के उद्गार

'शासनश्री' साध्वीश्री सोमलता जी के प्रति चारित्रात्माओं के उद्गार

शासनश्री साध्वी सोमलता जी हमारे धर्म संघ की एक विशिष्ट साध्वी थी। पिछले कुछ समय से उनकी अस्वस्थता चल रही थी, अस्वस्थता भी साधारण नहीं असाधारण थी। असह्य अनंत वेदना को उन्होंने साहस धैर्य और मनोयोग के साथ जीता। अंतिम क्षणों में अनशन के साथ अपनी संयम यात्रा को संपन्न कर जीवन को सफल बनाया। वे एक व्यवहार कुशल, मिलनसार और गुणग्राही साध्वी थी। उनमें रचना धर्मिता की कला थी, वे अच्छे-अच्छे गीतों का निर्माण करती थीं। उनके द्वारा रचित गीतों की पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं उनका वक्तृत्व ओज भरा होता था। प्रवचन कला में कुशल थी उनमें हिंदी, संस्कृत, प्राकृत आदि भाषाओं का अच्छा ज्ञान था। तत्व ज्ञान में भी वे निपुण थी कई बार हम लोगों का विहार में साथ रहने का काम पड़ा है। उनका मृदु व्यवहार मनभावन था। अंतिम दिनों में लघु भ्राता उग्र विहारी मुनि श्री कमल कुमार जी स्वामी का सेवा सहयोग प्राप्त हो गया। यह बहुत बड़ी सौभाग्य की बात है। मुनि श्री के मुखारविंद से चौविहार अनशन प्राप्त करने का शुभ अवसर प्राप्त हो गया। साध्वी श्री सोमलता जी की आत्मा के भावी आध्यात्मिक विकास की मंगल कामना। सहयोगी साध्वियां शकुंतलाश्री जी, संचितयशा जी, जागृतिप्रभा जी, रक्षितयशा जी सभी साध्वियों ने मनोयोग से साध्वी श्री की सेवा का लाभ उठाया। उन सब के प्रति मेरी अनंत-अनंत शुभकामना ।