आगम रत्नाकर है
भक्तों की नगरी में मेरे वीर आते हैं।
परमेश्वर-परमात्मा परमार्थ िसखाते हैं।
योगीश्वर-जगदीश्वर जीना िसखाते हैं।।
तेईस िजनेश्वर की छवि वीर में बसती है।
अध्यात्म के मणिदीप आभा पुलकती है।
तीर्थंकर-प्रभुवर का गुण गौरव गाते हैं।।
वे ब्रह्मा-िवष्णु-महेश महानायक कहलाते।
वे कल्पतरू िचंतामणि सन्मार्ग िदखलाते।
अखिलेश्वर-अजर-अमर अमृत बरसाते हैं।।
वे िदव्य िदवाकर है वे शांत सुधाकर हैं।
गरिमा है अपरम्पार आगम रत्नाकर हैं।
करुणेश्वर-त्रिशलानन्द अक्षय बनाते हैं।।
घर-घर में खुशहाली जगमग दीवाली है।
िजनवाणी कल्याणी करती रखवाली है।
हृदयेश्वर अर्चा में हम शीष झुकाते हैं।।
लय - जब कोई नहीं