नैतिक मूल्यों के अवतरण हेतु जीवन में संयम आवश्यक
आचार्यश्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती मुनि उदितकुमार जी की सन्निधि में ‘नैतिक मूल्यों का अवतरण’ विषयक सेमिनार का आयोजन तेरापंथ भवन उधना-सूरत में हुआ। सेमिनार के मुख्य अतिथि के रूप में असम के महामहिम राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया उपस्थित थे। राज्यपाल ने अपने विद्वत्तापूर्ण वक्तव्य में कहा- नैतिक मूल्यों के अवतरण हेतु आचार्यश्री तुलसी रचित अणुव्रत गीत काफी है। लोग प्रातः हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। इस तरह प्रतिदिन प्रातः इस गीत के एक-एक अक्षर पर गहराई से विमर्श करें तो उनके जीवन में नैतिकता का अवतरण अपने आप हो जाएगा।
राज्यपाल महोदय ने आचार्यश्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ, आचार्यश्री महाश्रमण का श्रद्धा के साथ उल्लेख किया। मुनि उदित कुमार जी ने कहा- नैतिक मूल्यों के अवतरण हेतु भीतर में श्रद्धा आवश्यक है। आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत के माध्यम से संयम: खलु जीवनम् का सूत्र दिया। वस्तुत: नैतिक मूल्यों को जीवन में अवतरित करने के लिए चार बातें आवश्यक हैं- नैतिकता के प्रति आस्था, जीवनशैली में परिवर्तन, संयम की चेतना का विकास और संवेदना का भाव। कार्यक्रम के प्रारंभ व अंत में राष्ट्रगान का संगान हुआ। महिला मंडल के गीत संगान के बाद उधना तेरापंथी सभा के अध्यक्ष बसंतीलाल नाहर ने स्वागत वक्तव्य दिया। अनुराग कोठारी ने राज्यपाल का परिचय दिया। संचालन सभा के मंत्री सुरेश चपलोत ने किया। राज्यपाल महोदय का मोमेंटो साहित्य आदि से सम्मान किया गया।