आध्यात्मिक होली के विविध आयोजन

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आध्यात्मिक होली के विविध आयोजन

आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी डॉ. गवेषणाश्री ठाणा 4 के सान्निध्य में वालाजावाद में होली चातुर्मास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। होली के रंग, लेश्या के संग विषय पर धर्म परिषद् को सम्बोधित करते हुए साध्वी गवेषणाश्री ने कहा कि भगवान महावीर ने 3 चातुर्मास का निर्देश दिया है। उनमें एक है- होली चातुर्मास। लौकिक और लोकोत्तर पर्व पर प्रकाश डालते हुए साध्वीश्री ने कहा कि जैन धर्म में होली का बड़ा महत्व है। आज के दिन चातुर्मासिक पक्खी का प्रतिक्रमण कर आत्मावलोचन किया जाता है। आज पानी या बाहरी रंगों की होली नहीं खेलकर, प्रशस्त रंगों के साथ होली खेलना है। होली के विभिन्न रंगों से लेश्याओं को पवित्र, शुभंकर बनाने का आह्वान करते हुए साध्वी श्री ने कहा कि रंगों की ओजस्विता और प्रकाश से मानव मन व मस्तिष्क बहुत प्रभावित होता है। हमें अपनी नकारात्मक सोच की होली का दहन करना है।
साध्वी मेरुप्रभा जी ने सुमधुर स्वरों एवं साध्वी दक्षप्रभा जी ने सारगर्भित विचारों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की शुरुआत वालाजावाद के युवकों द्वारा भिक्षु अष्टकम मंगलाचरण से हुई। तेरापंथ सभा अध्यक्ष महावीर पिपाड़ा ने स्वागत भाषण दिया। तेरापंथ धर्मसंघ की कामधेनु जैन विश्व भारती अध्यक्ष अमरचंद लुंकड़, स्थानीय तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा गीता धारीवाल, स्थानकवासी समाज के अध्यक्ष जवरीलाल आच्छा, शीला बोहरा, तंडियारपेठ ट्रस्ट बोर्ड प्रबन्धन्यासी पूनमचंद माण्डोत आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। गीता मंगल सेठिया, अशोक लूणावत, वालाजावाद महिला मण्डल ने सुमधुर गीतिकाएं प्रस्तुत की। गौतमचन्द सेठिया ने अपने विचार व्यक्त करते हुए ट्रस्ट बोर्ड की ओर से अक्षय तृतीया ट्रिप्लीकेन में करवाने का निवेदन किया।
ज्ञानशाला व किशोर मंडल के बालक बालिकाओं ने रोचक परिसंवाद के माध्यम से 'आध्यात्मिक होली पर्व' की महत्ता प्रस्तुत की। माधावरम से समागत नीलम आच्छा व उनकी टीम ने 'अन्वेषण' बैनर का अनावरण किया। आभार ज्ञापन रमेश धारीवाल ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी मयंकप्रभा ने किया।