आचार्य श्री भिक्षु के 299वें जन्म दिवस एवं 267वें बोधि दिवस पर विविध आयोजन

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आचार्य श्री भिक्षु के 299वें जन्म दिवस एवं 267वें बोधि दिवस पर विविध आयोजन

तेरापंथी सभा गंगाशहर द्वारा तेरापंथ धर्म संघ के प्रथम आचार्यश्री भिक्षु का 299 वां जन्मदिवस व 267 वां बोधि दिवस शांतिनिकेतन में साध्वी चरितार्थप्रभाजी एवं साध्वी प्रांजलप्रभाजी के सान्निध्य में मनाया गया। इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए साध्वी चरितार्थप्रभा जी ने कहा कि विक्रम संवत 1808 में भीखण जी मुनि बने। उन्होंने विक्रम संवत 1817 में तेरापंथ का प्रर्वतन किया। उस समय के विभिन्न धर्म संघ के आचार और अनुशासनहीनता ने उनके मन को उद्वेलित किया और उन्हें सत्यशोधक बना दिया। उन्होंने जैन आगमों का अध्ययन किया और उससे प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर आचार-विचार की सम्यकता का निर्धारण किया। आचार्य भिक्षु प्रतिस्रोतगामी थे। उन्होंने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। वे अपने हर विरोध को सकारात्मकता की दृष्टि से देखते थे। इस अवसर पर तेरापंथ सभा के जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि राजनगर संत भीखण जी का बोधि क्षेत्र है। यहां उन्हें नया आलोक मिला और आलोकमय पथ पर चलने की क्षमता मिली। साध्वी गौतमप्रभा जी ने गीतिका का संगान किया। महिला मंडल की अध्यक्ष संजू लालाणी ने काव्य पाठ किया। तेयुप अध्यक्ष महावीर फलोदिया ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का कुशल संचालन रुचि छाजेड़ ने किया।