कर्मों की विशेष निर्जरा का समय चातुर्मास

संस्थाएं

कर्मों की विशेष निर्जरा का समय चातुर्मास

जैन तेरापंथ नगर, माधावरम्, चेन्नई के तीर्थंकर समवसरण में साध्वी डा.गवेषणाश्री जी ने चातुर्मासिक चतुर्दशी के अवसर पर उपस्थित धर्म परिषद् को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज जैन धर्म का विशिष्ट दिन है। हिंदू धर्म में भी चातुर्मास का विशेष महत्त्व है। इन चार महीनों में मुख्यतः व्रत, उपवास, तप आदि विशेष आराधना के प्रयोग, अर्हत् वाणी श्रवण आदि किये जाते हैं। ज्ञान, साधना, चिंतन, मनन, निदिध्यासन चातुर्मास में ही होता है। किसी चीज का खर्च करें, तो उसका संचय भी आवश्यक है। संचय के बिना खर्च कैसे करें? हम पुण्याई का भोग तो कर रहे हैं, पर पुनः संचित नहीं करेंगे तो? इस चातुर्मास में कर्मों की विशेष निर्जरा करते हुए चातुर्मास को सफल बनाना है। विशिष्ट मंत्रोच्चारण के साथ वर्षावास स्थापना की गई। भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए, गहराई में उतरने के लिए और चातुर्मास में विशिष्ट कुछ करने के लिए साध्वीवृन्द ने एक गवेषणा मॉल की ओपनिंग की। साध्वीश्री ने कहा- जो चातुर्मास में सामायिक, तप-जप, धर्म जागरणा, धर्म दलाली आदि नहीं करता उनको बाद में पश्चाताप करना पड़ता है। सुरेश रांका ने विचार व्यक्त किए।