भगवती सूत्र के स्वाध्याय से प्राप्त हो सकती है श्रुत की संपदा : आचार्यश्री महाश्रमण
अध्यात्म जगत के महान प्रचेता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भगवती सूत्र की व्याख्या कराते हुए फरमाया कि भगवती सूत्र तत्त्वज्ञान का खजाना है। भगवती सूत्र अंग आगम है और इस एक पोथे में विभिन्न विषयों की जानकारियां दी गई हैं। सूत्र के स्वाध्याय से श्रुत की सम्पदा प्राप्त हो सकती है। भगवती सूत्र में अधिकांशतया प्रश्न गौतम स्वामी द्वारा पूछे गये हैं। प्रश्नकर्त्ता और समाधानदाता का योग मिलने पर कितनों को लाभ हो सकता है। ये प्रश्न कितनों के ज्ञानवर्धन में सहायक बन रहे हैं। भगवान महावीर तो सर्वज्ञ थे, उनके पास तो सम्पूर्ण ज्ञान था। ऐसे उत्तरदाता मिल जाएं तो प्रश्नकर्ता का तो मानो भाग्य खिल जाए। बार-बार भगवान के मुखारविंद से गौतम का नाम उच्चरित होना मानो गौतम स्वामी भी धन्य हो गए।
सारे प्रश्नों का उत्तर मिलने पर गौतम स्वामी भगवान को वन्दन करते हैं। नमस्कार कर निवेदन करते हैं- भगवन्! आप जो बात बता रहे हैं, वह सत्य है, असंदिग्ध है। वहां से उठकर फिर विहरण करते हैं। भगवती सूत्र व अन्य आगमों में कृतज्ञता ज्ञापन जैसी किसी बात का उल्लेख नहीं है। व्यवहार में कृतज्ञता ज्ञापन होता है, पर संभवतः भगवान महावीर और गौतम स्वामी कृतज्ञता की भूमिका से ऊपर उठ गए थे। विनय, वंदन का प्रयोग अवश्य मिलता है। गौतम स्वामी द्वारा भगवान से पूछे गए प्रश्न बहुतों के ज्ञानवर्धन में सहयोगी बने। पूज्यवर ने भगवती सूत्र के क्रम को समाप्त करते हुए आगे आयारो पर व्याख्यान देने की घोषणा की।
''चंदन की चुटकी भली'' के प्रसंग 'रूप को गर्व' की व्याख्या कराते हुए पूज्यप्रवर ने फरमाया कि चक्रवर्ती से बड़ा भौतिकता की दृष्टि से कोई नहीं है। तीर्थंकर तो सर्वज्ञ होते हैं। ज्ञान की दृष्टि से संसारी जीवों में तीर्थंकरों से ज्यादा ज्ञान किसी में नहीं होता है। पूज्यवर ने गत 19 जुलाई को महावीर समवसरण में आठ नव दीक्षित मुमुक्षुओं को सामायिक चारित्र ग्रहण करवाया था। आज उन्हें बड़ी दीक्षा, छेदोपस्थापनीय चारित्र प्रदान करवाया। पूज्यवर ने आर्षवाणी से पांच महाव्रतों एवं छठे रात्रि भोजन विरमण व्रत को समझाया व तीन करण, तीन योग से यावज्जीवन के लिए प्रत्याख्यान करवाए। महाव्रतों में उपस्थित करवाते हुए उन्हें विभिन्न प्रेरणा प्रदान करवाई। मुनि चिन्मयकुमारजी ने अट्ठाई तप का प्रत्याख्यान पूज्यवर से ग्रहण किया। विशाल तपः यज्ञ में अपनी आहूति देने वालों को प्रेरणा प्रदान कराते हुए महातपस्वी ने अट्ठाई व अन्य तपस्याओं के प्रत्याख्यान करवाए। मुनि राजकुमारजी ने गीत का संगान किया।
तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम द्वारा मेधावी छात्र सम्मान समारोह में राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज ओस्तवाल ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। TPF ट्रस्टी संजय जैन, एजुकेशन कमिटी की चेयरमैन डॉ. वंदना डांगी ने भी अपनी भावना अभिव्यक्त की। पूज्यवर ने आशीर्वचन फरमाते हुए छात्रों को प्रेरणा प्रदान करवाई। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमार जी ने किया।