चातुर्मास का समय त्याग-तपस्या का
मण्डिया (कर्नाटक)। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी संयमलताजी ठाणा 4 ने विशाल अहिंसा रैली के साथ शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा भवन में मंगल चातुर्मासिक प्रवेश किया। साध्वी संयमलताजी ने कहा- भारतीय संस्कृति अध्यात्म प्रधान, धर्म प्रधान व त्याग प्रधान संस्कृति रही है। भारत की अजेयता का कारण अस्त्र-शस्त्र बल नहीं बल्कि इसकी असली ताकत है सन्त। संत दिन-रात अध्यात्म की अलख जगाते हैं, त्याग की धुनी रमाते हैं। चातुर्मास का समय त्याग-तपस्या का, अध्यात्म के जागरण का समय है। आप सभी जागें और अध्यात्म के क्षेत्र में आगे बढ़ें। साध्वीश्री ने स्वरचित गीत ‘गुड़ शक्कर की नगरी नंबर वन’ की सुंदर प्रस्तुति दी। साध्वी मार्दवश्रीजी 'तलाश का सफरनामा' के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कोई शोहरत की तलाश में है तो कोई इज्जत की, कोई वोट की तो कोई नोट की, कोई मौके की किसी को धोखे की, किसी को इंसान की जरूरत तो किसी को भगवान की तलाश है। इन तलाशों को पूरा करने हेतु इंसान अपनी तलाश करे। साध्वी मनीषाप्रभाजी, व साध्वी रौनकप्रभाजी ने रोचक संवाद की प्रस्तुति देते हुए चातुर्मास में होने वाले आध्यात्मिक अनुष्ठानों में सहभागिता हेतु आह्वान किया। शुरुआत महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण से हुई। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष सुरेश भंसाली ने स्वागत किया। मैसूर से समागत सभा अध्यक्ष प्रकाश दक, स्थानकवासी सम्प्रदाय से मंत्री विजयकुमार तलेसरा ने अपनी भावना प्रस्तुत की। कन्या मंडल व ज्ञानशाला के बच्चों ने सुंदर गीतिका के साथ प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन तेयुप से प्रवीण दक एवं आभार ज्ञापन गौतम भंसाली ने किया।