आध्यात्मिक वैभव पाने का स्वर्णिम अवसर होता है चातुर्मास

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आध्यात्मिक वैभव पाने का स्वर्णिम अवसर होता है चातुर्मास

मुनि अर्हत कुमार जी ने सालासर विहार से पर्यावरण रैली के साथ अणुव्रत भवन में मंगल प्रवेश किया। भव्य जुलूस में तेरापंथ सभा, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ कन्या मंडल, तेरापंथ किशोर मंडल ने उत्साह उमंग के साथ भाग लिया। मुनि अर्हतकुमार जी ने कहा- संतों का आगमन जीवन वीणा को झंकृत कर देता है। संतों के सान्निध्य से व्यक्ति की दशा व दिशा दोनों बदल जाती है। भारतीय संस्कृति में चातुर्मास का विशेष महत्व है। चतुर्मास का पावन समय हमें भोग से योग, राग से विराग, प्रवृति से निवृत्ति व आसक्ति से अनासक्ति की ओर बढ़ने को प्रेरित करता है। रत्न तो समुद्र में होते हैं, डुबकी लगाने वाला ही उन्हें प्राप्त कर सकता है। जिसके भीतर त्याग है वही व्यक्ति पाने की खोज करेगा। उसी प्रकार जिसके भीतर मुक्ति को प्राप्त करने की तीव्र उत्कंठा है वही साधना के पथ पर अग्रसर होगा। मुनिश्री ने आगे कहा - सभी एकजुट होकर चातुर्मास को सफल बनाएं एवं धर्मसंघ की प्रभावना करें। गुरुदेव की यह अनुकंपा हमारे लिए वरदान सिद्ध हो।
मुनि भरतकुमार जी ने चातुर्मास का अर्थ बताते हुए कहा - चार महीनों के लिए, तुम्हें, रब से, मिलाने के लिए संपर्क करना ही चातुर्मास है। हर व्यक्ति चातुर्मास में पंचाचार की आराधना करे। मुनि जयदीप कुमार जी ने भी अपने वचार व्यक्त किए। स्वागत कार्यक्रम का प्रारंभ TPF सदस्यों के मंगलाचारण द्वारा हुआ। स्वागत भाषण सभा अध्यक्ष विजय रांका ने दिया। तेममं अध्यक्षा सरिता डागा, तेयुप अध्यक्ष जितेंद सेठिया, TPF अध्यक्ष प्रियांक छाजेड़, ज्ञानशाला प्रभारी महेंद्र बोरड़ आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। तेरापंथ महिला मंडल ने सुमधुर गीतिका की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन प्रमिला मालू ने किया।