चातुर्मास में धर्म आराधना का महत्व

संस्थाएं

बीकानेर।

चातुर्मास में धर्म आराधना का महत्व

तेरापंथ भवन (तुलसी साधना केंद्र) में 'शासनश्री' साध्वी मंजुप्रभाजी और 'शासनश्री' साध्वी कुन्थुश्रीजी ने चातुर्मास स्थापना के अवसर पर श्रावक-श्राविकाओं को धर्म आराधना के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि चातुर्मास का समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह तप, त्याग, धर्म ध्यान, स्वाध्याय और जप जैसे धार्मिक अनुष्ठानों के लिए विशेष काल है। उन्होंने श्रद्धालुओं को प्रतिदिन प्रवचन सुनने, भगवान की वाणी पर चिंतन-मनन करने और आध्यात्मिक साहित्य का पठन-पाठन करने और करवाने को चातुर्मास काल के प्रमुख उपक्रम बताया। साध्वीश्री ने सभी से जागरूक होकर धर्म आराधना करने का आह्वान किया।
'शासनश्री' साध्वी कुन्थुश्रीजी ने तपस्या के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि चातुर्मास काल तपस्या के लिए बहुत साताकारी समय होता है। उन्होंने कहा कि जो लंबी तपस्याएं नहीं कर सकते, वे नवकारसी, आयम्बिल, प्रहर, एकासन आदि जैसी छोटी-छोटी तपस्याएं कर स्वयं को लाभान्वित करें। साध्वीश्री ने कहा कि तपस्या से संचित कर्मों का क्षय होता है और यह मुक्ति के मार्ग का एक महत्वपूर्ण साधन है।