आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन

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जयपुर

आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन

भिक्षु साधना केंद्र, श्याम नगर में मुनि तत्त्व रुचि जी ‘तरुण’ के सान्निध्य में वर्षावास प्रारंभ एवं तेरापंथ धर्मसंघ का 266वां स्थापना दिवस संयोजित किया गया। वर्षावास स्थापना के शुभ अवसर पर मुनि तत्त्व रुचि जी ने मर्यादाओं का वाचन करते हुए मर्यादित आचरण की विशेष प्रेरणा दी। उन्होंने तेरापंथ धर्मसंघ के आद्य प्रवर्तक आचार्य श्री भिक्षु स्वामी द्वारा प्रतिपादित मर्यादाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जो पांच महाव्रत, पांच समिति और तीन गुप्ति की अखंड पालना करता है, वही सच्चे अर्थों में साधु कहलाने योग्य है। मुनिश्री ने चातुर्मास के दौरान मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों के अनावश्यक प्रयोग से बचने और आत्मशुद्धि के लिए तप, जप, ध्यान, मौन, स्वाध्याय जैसे क्रियाकलापों को नियमित रूप से अपनाने की प्रेरणा दी। कई श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, बेला, तेला आदि व्रतों का संकल्प लिया। साथ ही चातुर्मास के दौरान रात्रि भोजन, जमीकंद, हरी सब्जियों और सचित्त वस्तुओं के त्याग का भी संकल्प लिया गया। तेरापंथ स्थापना दिवस कार्यक्रम में मुनि तत्त्वरुचि जी ने आचार्य श्री भिक्षु स्वामी की जीवन-दृष्टि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने धार्मिकों को नई और सही दृष्टि प्रदान की, जिसका मूल्यांकन आज पूरे समाज में हो रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आध्यात्मिकता और सामाजिकता दोनों का महत्व है, लेकिन इनका अनुपयुक्त मिश्रण दोनों की गरिमा को कम कर देता है। मुनि संभव कुमार जी ने गीत के माध्यम से आचार्य श्री की महिमा का भावपूर्ण गुणगान किया। कार्यक्रम में तेरापंथ महिला मंडल से सुशीला नखत, मास्टर रतनलाल जैन, संदीप भंडारी आदि ने अपने विचार वक्तव्यों और गीतों के माध्यम से व्यक्त किए। मर्यादा कुमार कोठारी द्वारा श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया गया।