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आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन
साध्वी सिद्धप्रभाजी के सान्निध्य में आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी कार्यक्रम का शुभारंभ नवकार महामंत्र के साथ किया गया। साध्वीवृंद ने 'भिक्षु म्हारे प्रगट्या जी भरत खेतर में' गीत का संगान किया। तत्पश्चात सभा व युवक परिषद द्वारा सामूहिक गीत का संगान किया गया। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं द्वारा भिक्षु स्वामी के जन्म पर सुंदर नाटिका प्रस्तुत की गई। पालघर से समागत मुमुक्षु भावना बाफना ने अपने भाव व्यक्त किए। मुमुक्षु का संक्षिप्त परिचय सभा मंत्री दिलीप पितलिया ने दिया। साध्वी सिद्धप्रभा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु बल के पूज्य थे। उनका श्रद्धाबल, संकल्पबल, तपोबल, वैराग्यबल, क्षमाबल, सिद्धांतबल, बुद्धिबल अद्वितीय था। जयपुर के अंकवेत्ता देवकीनन्दन बोहरा द्वारा वर्णित 10 शारीरिक शुभ लक्षणों का वर्णन करते हुए साध्वीश्री ने कहा कि यह भविष्यवाणी है कि तेरापंथ की नींव को 2000 वर्ष तक कोई बाल बांका भी नहीं कर सकता। आचार्य भिक्षु का जीवन सबके लिए आदर्श था। हमें लक्ष्य बनाना है कि हम उनके सिद्धांतों को जीवन में उतारें और परीक्षा की स्थिति में तेरापंथी, भिक्षु भक्त होने का पक्का परिचय दें। कार्यक्रम का संचालन साध्वी दीक्षाप्रभा जी ने किया।