आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन

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बोरावड़

आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन

आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासनश्री' साध्वी मधुरेखा जी के सान्निध्य में आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष का कार्यक्रम श्रद्धा और भावपूर्ण वातावरण में बड़े उत्साह के साथ दो चरणों में आयोजित किया गया। पहले चरण में जप अनुष्ठान एवं मकराना महिला मंडल की सामूहिक गीतिका की प्रस्तुति हुई। दूसरे चरण का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र के उच्चारण के पश्चात महिला मंडल के मंगलाचरण से हुआ। 'शासनश्री' साध्वी मधुरेखा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आचार्य भिक्षु एक महान साधक थे। उन्हें मान-सम्मान की अपेक्षा नहीं थी, बल्कि उन्होंने अनेक विरोधों का सामना किया, किंतु परिस्थितियों ने उन्हें कभी खिन्न नहीं किया। उसी की परिणति तेरापंथ धर्मसंघ के रूप में हुई। साध्वीश्री ने प्रसंगवश उल्लेख किया कि बोरावड़ एक तीर्थभूमि है, जहां पर 11 आचार्यों का पदार्पण हुआ है। साध्वी सुव्रतयशा जी एवं साध्वी लोकोत्तर प्रभा जी ने कविता और मुक्तक के माध्यम से अपने भावों की सुंदर अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ सभा के मंत्री गजेंद्र बोथरा, युवक परिषद के मंत्री अमित लोढ़ा, महिला मंडल अध्यक्ष भारती कोटेचा, प्रकाश लोढ़ा, प्रदीप जैन एवं ज्ञानशाला के बच्चों ने भावपूर्ण प्रस्तुतियां दीं। कार्यक्रम का संचालन करते हुए साध्वी मधुयशा जी ने कहा कि महान साधना शलाका का वह पुरुष, जिसने विश्व क्षितिज पर एक तेजस्वी नक्षत्र के रूप में उदय लिया, जीवन भर अनेक संघर्षों के बावजूद अपनी तेजस्विता को संसार के समक्ष प्रस्तुत करता रहा।