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‘मां की कोख’ संस्कार कार्यशाला का आयोजन
अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशानुसार साध्वी राजकुमारी जी, 'शासनश्री' साध्वी यशोधरा जी, 'शासनश्री' साध्वी प्रशमरती जी तथा उपसेवा केंद्र व्यवस्थापिका डॉ. साध्वी शुभप्रभा जी के सान्निध्य में ‘मां की कोख’ संस्कार कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र के साथ हुआ। महिला मंडल की बहनों ने गीतिका के माध्यम से मंगलाचरण की प्रस्तुति दी। साध्वीवृंद ने सामूहिक गीत की मधुर प्रस्तुति दी। महिला मंडल की अध्यक्ष जयश्री जैन ने बहनों का स्वागत किया।
साध्वी अनन्यप्रभाजी ने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि संसारपक्षी माता से मुझे संस्कार मिले और गुरुदेव ने मुझे दीक्षा की अनुमति देकर धर्मसंघ की सेवा के लिए दूसरा आध्यात्मिक जन्म दिया। मुख्य वक्ता डॉ. मीनाक्षी गोयल जी ने गर्भसंस्कार पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि स्वस्थ शरीर और प्रसन्नचित्त अवस्था गर्भाशय में पल रहे शिशु को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है। उन्होंने मां के आहार, मानसिक और शारीरिक स्थिति, तथा स्वस्थ संतान के जन्म हेतु आवश्यक बातों पर सारगर्भित जानकारी दी। साध्वी सुश्रुतश्रीजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि यदि बच्चे को कोई उपहार नहीं दिया जाए तो वह थोड़ी देर रोकर चुप हो जाएगा, लेकिन यदि उसे संस्कार नहीं दिए जाएं तो वह जीवनभर रोता रहेगा। इसलिए मां को बच्चों के लालन-पालन में विशेष ध्यान रखते हुए उन्हें संस्कारों का उपहार देना चाहिए। डॉ. साध्वी शुभप्रभा जी ने बहनों को कहा कि वंदन है उन माताओं को, जिनकी कोख से आचार्य भिक्षु स्वामी और वर्तमान आचार्य महाश्रमण जैसे गुरु समाज को प्राप्त हुए, जिनकी अमृत वाणी से आज पूरा समाज लाभान्वित हो रहा है। संगीता जैन ने मंच का कुशल संचालन किया।