निरामय निरंजन  आचार्य भिक्षु

रचनाएं

साध्वी मुक्ताप्रभा

निरामय निरंजन आचार्य भिक्षु

1. अनुपम प्रभास्वर अंतर्यामी,
संयम तप का प्रकाश चाहिए।
2. अप्रतिबद्ध विहारी, इन्द्रिय जेता,
परम शुक्ल का ध्यान चाहिए।
3. निस्समय, निरंजन बन जाए,
पारदर्शी, सत्यदर्शी जीवन चाहिए।
4. अनुशासन-अप्रतिम, कुशल पारखी,
अध्यात्म रस की सुवास चाहिए।
5. निर्मल चेता, विश्वविजेता, जन-जन के खेता,
अंतर्यात्रा, अंतर्दर्शन का विज्ञान चाहिए।
6. तेरापंथ के आदि प्रणेता, मघ गण नायक,
सम्यक-दृष्टि, प्रांजल सृष्टि चाहिए।
7. आगम-मुक्ता मणियों के संघाता,
तात्त्विक चिंतन, सत्य रूप चाहिए।
8. अंतश्चक्षु उद्घटित कर दो, भिक्षु स्वामी,
पवित्र ऊर्जा का संदेश चाहिए।
9. अक्षय ज्ञान के विशारद पंडित, आर्य भिक्षु,
बोधि, समाधि, समृद्धि का वरदान चाहिए।