धर्म आराधना का महत्वपूर्ण समय है चातुर्मास

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गंगाशहर।

धर्म आराधना का महत्वपूर्ण समय है चातुर्मास

आचार्यश्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती उग्र विहारी, तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी व मुनि श्रेयांस कुमार जी ठाणा-6 ने बोथरा भवन, गंगाशहर से विहार करके तेरापंथ भवन, गंगाशहर में चातुर्मासिक प्रवेश किया। इस अवसर पर अपना उद्बोधन प्रदान करते हुए उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी ने कहा कि चातुर्मास काल धर्म आराधना का महत्वपूर्ण समय होता है। वर्षावास काल में जीवों की अति उत्पत्ति होती है। पाप कार्यों से बचने के लिए और जीवों की हिंसा न हो, इस दृष्टि से चार माह एक ही स्थान पर रहकर साधना की जाती है। मुनिश्री ने कहा कि तेरापंथ के आचार्यश्री महाश्रमण जी युगीन समस्याओं को मिटाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहते हैं। विवाह के कार्यक्रमों में अनेक नई बुराइयाँ जुड़ गई हैं। मुनिश्री ने कहा कि फूलों की होली बंद करनी चाहिए, क्योंकि इससे असंख्य जीवों की हिंसा होती है और निकाचित कर्मों का बंधन होता है, जिससे सम्यक्त्व बिगड़ता है। उन्होंने कहा, 'हिंसा की होली बंद करो, अहिंसा की साधना बढ़ाओ।' मुनिश्री ने आगे कहा, 'प्री-वेडिंग एक बहुत बड़ी बीमारी है, जो समाज का विनाश कर सकती है। बच्चों को इतनी खुली छूट मत दो, जिससे समाज का वातावरण खराब और दूषित हो। युवाओं को भोगी और विलासी नहीं, बल्कि आदर्श युवक बनाओ।'
मुनिश्री ने चातुर्मास काल में सामायिक, जप, तप, स्वाध्याय और ध्यान में अपना ज्यादा से ज्यादा समय लगाने की प्रेरणा प्रदान की। उन्होंने कहा कि घर-घर में अर्हत् वंदना हो तथा जप और उपवास का क्रम नियमित रूप से चालू रहना चाहिए। इस अवसर पर मुनि श्रेयांस कुमार जी ने एक गीतिका के माध्यम से अपने भाव व्यक्त किए। मुनिश्री के चातुर्मास प्रवेश एवं प्रवास के लिए स्वागत और मंगलकामनाओं के क्रम में जैन लूणकरण छाजेड़, अमरचंद सोनी, जतन लाल संचेती, गणेशमल बोथरा, आसकरण पारख, धर्मेंद्र डाकलिया, जतन लाल दूगड़, निर्मल बैद, ललित राखेचा, मनोहर लाल दूगड़, करणीदान रांका, राजेंद्र बोथरा, प्रेम बोथरा, किरण देवी छाजेड़, गरिमा भंसाली आदि वक्ताओं ने अपनी भावनाएँ प्रस्तुत कीं। महिला मंडल व ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने गीतिका के माध्यम से स्वागत एवं शुभकामनाएँ व्यक्त कीं।