आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन

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आदर्श नगर, सवाई माधोपुर

आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन

अज्ञानता रूपी अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले ही सच्चे गुरु होते हैं। गुरु अपने अनुयायी के लिए किसी नए संसार की रचना नहीं करते, वरन् शिष्य में छिपी हुई प्रतिभा को बाहर लाने में सहायक बनते हैं और उसके गुणों में वृद्धि करते हैं। उक्त विचार युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी सुशिष्या साध्वी लक्ष्यप्रभा जी ने आदर्श नगर स्थित तेरापंथ भवन में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि गुरु पूर्णिमा और तेरापंथ की स्थापना का संयोग अद्भुत है। आचार्य श्री भिक्षु ने बिना किसी विशेष लक्ष्य के सत्य की राह को चुना और एक विशाल संघ की अकल्पनीय नींव रख दी, जो आज भी अक्षुण्ण है। आज यह धर्मसंघ रूपी नंदनवन कल्पवृक्ष की शीतल छाया की अनुभूति दे रहा है। श्रावक समाज को अपने धन, बुद्धि और शारीरिक बल का उपयोग संघ सेवा में लगाकर तप और त्याग के द्वारा जीवन को आलोकित बनाना अपेक्षित है। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ कन्या मंडल की बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से हुआ। साध्वी नव्यप्रभा जी व साध्वी उन्नतप्रभा जी ने आचार्य भिक्षु के संदर्भ में अंक आधारित विशिष्ट जानकारी दी और श्रद्धा-भक्ति से ओतप्रोत गीतिका की सुंदर प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का कुशल संयोजन साध्वी डॉ. उन्नतप्रभा जी ने किया।