
संस्थाएं
लोगस्स जप अनुष्ठान से बदले रसायन
साध्वी पावनप्रभा जी के सान्निध्य में लोगस्स जप अनुष्ठान करवाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत साध्वीश्री ने गीत की प्रस्तुति द्वारा की। आपने कहा कि लोगस्स का एक और नाम है – उक्कितणं, जो सर्वोत्तम व उच्चतम पद पर विराजमान चौबीस तीर्थंकरों का संगान व कीर्तन है। तीर्थंकर रूप, बल, कुल, जाति, ऐश्वर्य आदि में सर्वश्रेष्ठ होते हैं तथा सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन, सम्यक चारित्र में विशिष्ट होते हैं। तीर्थंकर की स्तुति करने से भाषा का लंगड़ापन दूर होता है, अर्हता बढ़ती है और सम्यक्त्व विशुद्ध हो जाता है। यदि कोई उपद्रव हो तो लोगस्स की स्तुति करने से वह उपद्रव शांत हो जाता है। इसका नित्य प्रतिदिन जाप व माला फेरने से अपने भीतर के रसायन बदल जाते हैं। साध्वी रम्यप्रभा जी ने तेरह चैतन्य केन्द्रों पर लोगस्स का जाप करवाया और शरीर के चारों ओर सुरक्षा कवच बनवाया। सभी श्रावक-श्राविकाएं इस मंत्र की उपयोगिता व लाभ को सुनकर आनंदित और भावविभोर हो गए। कार्यक्रम में श्रावक-श्राविकाओं की अच्छी उपस्थिति रही।