आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन

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छतरपुर, नई दिल्ली

आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन

आचार्य भिक्षु जन्म त्रि शताब्दी के अवसर पर केंद्र द्वारा निर्धारित त्रिदिवसीय आध्यात्मिक कार्यक्रम तेरापंथ सभा, दिल्ली के तत्वावधान में साध्वी कुन्दनरेखाजी के सान्निध्य में हर्षोल्लासपूर्वक संपन्न हुआ। समारोह के पावन अवसर पर लगभग 100 भाई-बहनों ने सवा लाख जाप करने का संकल्प लिया। सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने इस अवसर पर जीवनपर्यंत एक सीमा से अधिक वनस्पतियों के त्याग का व्रत लिया। चातुर्मासिक चतुर्दशी के दिन साध्वी कुन्दनरेखाजी द्वारा हाजरी का वाचन किया गया एवं चातुर्मास के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। तेरापंथ स्थापना दिवस के अवसर पर साध्वी कुन्दनरेखा ने संबोधित करते हुए कहा कि आचार्य भिक्षु एक क्रांतिकारी आध्यात्मिक महापुरुष थे। आज ही के दिन केलवा की अंधेरी ओरी में सायंकाल में उन्होंने भावदीक्षा स्वीकार की थी। तेरापंथ धर्मसंघ की स्थापना आचार्य भिक्षु का एक महान उपकार है। एक गुरु के निर्देशन में संचालित यह संघ मर्यादा और अनुशासन से युक्त है। इसका प्रत्येक सदस्य आत्मशोधन की दिशा में अग्रसर है और आध्यात्मिक ऊंचाइयों को स्पर्श कर रहा है। साध्वी श्री ने आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा वर्णित तेरापंथ संघ की कुंडली पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।
साध्वी सौभाग्ययशाजी ने कहा कि आचार्य भिक्षु का जीवन-दर्शन संघ की कहानी से जुड़ा हुआ है। वह मानवता के ऐसे मसीहा थे, जो कभी घबराए नहीं, रुके नहीं और निरंतर गतिमान रहे। साध्वी कल्याणयशाजी ने कहा कि आचार्य भिक्षु एक अलौकिक पुरुष थे, जिन्होंने महावीर वाणी में सत्य का अनुसंधान किया और उसे जीवन में स्वीकारा, उसी का परिणाम है तेरापंथ।
महिला मंडल की बहनों ने भक्ति गीतों की सुमधुर प्रस्तुति दी। भाई विश्वास ने अपनी स्वरचित गीतिका से सभी को भावविभोर कर दिया। संदीप डूंगरवाल ने कहा कि भिक्षु की कहानी आज सबकी जुबानी बन गई है। न केवल तेरापंथ समाज, बल्कि अन्य कई श्रद्धालुजन भी उनके चरणों में नतमस्तक हैं। प्रदीप खटेड़ ने आचार्य भिक्षु के संस्मरणों के माध्यम से कुशलतापूर्वक कार्यक्रम का संचालन किया। धम्म जागरण का कार्यक्रम भी अत्यंत प्रभावशाली रहा।