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अध्यात्म का प्राणवान समय होता है चातुर्मास
तमिलनाडु के पल्लावरम क्षेत्र स्थित तेरापंथ भवन में युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि दीपकुमार जी ठाणा-2 का श्री दक्षिण पावापुरी, जैन तीर्थ से भव्य रैली के साथ प्रस्थान हुआ और पल्लावरम तेरापंथ भवन में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश संपन्न हुआ। मुनिश्री ने अपने प्रवचन में कहा कि चातुर्मास अध्यात्म का प्राणवान समय होता है। जिस प्रकार आकाश में बादलों को देखकर लोगों के मन में प्रसन्नता जागृत होती है, उसी प्रकार संतों का चातुर्मासिक प्रवेश श्रावक समाज में नवीन ऊर्जा, उमंग और उल्लास भर देता है। जैसे वर्षा धरती को हरियाली प्रदान करती है, वैसे ही संतजन आगमवाणी की अमृतवर्षा कर आत्मा का पोषण करते हैं। यह समय प्रमाद को त्याग कर धर्म की हरी-भरी चूनरी ओढ़ने का होता है। मुनिश्री ने कहा कि गुरु हमारे प्राण और त्राण हैं, और उनकी आज्ञा से हम पल्लावरम में चातुर्मास हेतु आए हैं।
मुनिश्री काव्यकुमार जी ने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं जो हमें जिनशासन और तेरापंथ धर्मसंघ प्राप्त हुआ। उन्होंने पल्लावरमवासियों को चातुर्मास में ‘जीएसटी’ अदा करने की प्रेरणा दी – जी से ज्ञान, एस से सामायिक और टी से तपस्या। मुख्य अतिथि डॉ. विनोद विशेश्वर ने कहा कि मुनिश्री का चार माह का प्रवास हमारे क्षेत्र के लिए गौरव की बात है और मैं स्वयं समय-समय पर उनका मार्गदर्शन लेने का प्रयास करूंगा। विशिष्ट अतिथि जैन महासंघ अध्यक्ष प्यारेलाल पितलिया, अभातेयुप अध्यक्ष रमेश डागा, अमृतवाणी अध्यक्ष ललित दुगड़, चेन्नई सभा अध्यक्ष अशोक खतंग, किलपॉक सभा उपाध्यक्ष धर्मीचंद छल्लाणी, तेयुप अध्यक्ष विशाल सुराणा, टीपीएफ अध्यक्षा बबिता चोपड़ा, अणुव्रत समिति अध्यक्षा सुभद्रा लुणावत, महिला मंडल, ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाएं एवं अन्य अनेक गणमान्यजनों ने गीत, कविता एवं भाषणों के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। स्वागत स्वर पल्लावरम सभा अध्यक्ष दिलीप भंसाली ने प्रस्तुत किया और कार्यक्रम का सफल संयोजन महिला मंडल मंत्री पंकज कोठारी ने किया।