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चातुर्मास में जीवन को बनाएं शुद्ध, सौम्य और सोने के समान
आचार्य महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या साध्वी त्रिशलाकुमारी जी ठाणा-5 का चातुर्मासिक प्रवेश बाबूलाल, पंकज गांधी के निवास से महाप्रज्ञ विहार में रैली के रूप में हुआ। महाप्रज्ञ विहार में रैली सभा के रूप में परिवर्तित हो गई। समारोह का शुभारंभ किशोर मंडल के मंगलाचरण से हुआ। तेरापंथ सभा अध्यक्ष कमल नाहटा ने गुरुदेव के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि साध्वीश्री का चातुर्मास हम सबकी आध्यात्मिक चेतना को जगाने वाला हो, ऐसी हमारी मंगल कामना है। महिला मंडल अध्यक्षा सीमा बाबेल, तेयुप अध्यक्ष अशोक चौरडिया, टीपीएफ अध्यक्ष राजेंद्र चंडालिया, अणुव्रत समिति अध्यक्षा प्रणिता तलेसरा ने साध्वीवृंद का स्वागत करते हुए प्रवास को सफल बनाने का संकल्प व्यक्त किया। तेयुप और महिला मंडल द्वारा प्रस्तुत स्वागत गीत ने पूरे परिसर में समा बांध दिया।
साध्वी त्रिशलाकुमारीजी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि रामभक्त हनुमान के लिए वही हार मूल्यवान हो सकता है जिसमें राम हों। तेरापंथ धर्मसंघ भी एक बहुमूल्य हार है। इस धर्मसंघ में उस व्यक्ति का महत्व है जो गुरु दृष्टि की आराधना करता है। हम भी गुरु दृष्टि की आराधना करते हुए गुरु इंगित के अनुसार उदयपुर में आए हैं। उदयपुर हरा-भरा क्षेत्र है, हमने अनुभव किया कि यहां के लोग श्रद्धा-भक्ति से भी हरे-भरे हैं। अब पंचधारा की साधना-आराधना से जीवन को शुद्ध, सौम्य और सोने के समान बनाना है। चातुर्मास में अंतर यात्रा कर जीवन को नव आलोक से भरना है।
साध्वी कल्पयशाजी ने कहा कि यह स्वागत हमारा नहीं, यह स्वागत है अध्यात्म चेतना का, स्वागत है भगवान महावीर के संदेशों का, स्वागत है आचार्य महाश्रमण के संदेशों का। साध्वीवृंद की सामूहिक प्रस्तुति ने पूरी परिषद को भावविभोर कर दिया। मुख्य अतिथि के रूप में देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त जतिन गांधी विशेष रूप से उपस्थित थे। उन्होंने भी अपने वक्तव्य में चातुर्मास का अधिक से अधिक लाभ उठाने की बात कही। कार्यक्रम का कुशल संचालन सभा के मंत्री अभिषेक पोखरना ने किया। तेरापंथ सभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष आलोक पगारिया ने आभार व्यक्त किया। तेयुप के निवर्तमान अध्यक्ष भूपेश खमेसरा ने भी कविता के माध्यम से श्रद्धा-भक्ति व्यक्त की।