
संस्थाएं
अहिंसा रैली के साथ चातुर्मासिक मंगल प्रवेश
आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी रतिप्रभा जी का चातुर्मासिक मंगल प्रवेश अहिंसा रैली के साथ हुआ। साध्वीश्री के प्रवेश पर तेरापंथ सभा, युवक परिषद, महिला मंडल, कन्या मंडल, किशोर मंडल व अणुव्रत समिति की ओर से स्वागत एवं अभिनंदन किया गया। रैली बस स्टैंड रोड, अणुव्रत द्वार से रवाना होकर शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए पुराना ओसवाल भवन, जसोल पहुँची, जहां स्वागत कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम में संबोधित करते हुए साध्वी रतिप्रभा जी ने कहा कि नगर में साधु-संतों के आगमन से मन रूपी बसंत खिलता है। साधु-संत धरती के कल्पवृक्ष हैं, चिंतामणि रत्न के समान हैं। साध्वीश्री ने कहा कि विश्वकल्याण की सोच के साथ प्रेम, मैत्री, करुणा व अहिंसा का पथदर्शन साधु-संतों के सौभाग्य से ही मिलता है।
साध्वी कलाप्रभा जी ने ‘मंगल प्रवेश’ शब्द की व्याख्या करते हुए ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप की विशेष आराधना के लिए आह्वान किया। साध्वी मनोज्ञयशा जी व साध्वी पावनयशा जी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ कन्या मंडल द्वारा मंगलाचरण से हुआ। स्वागत भाषण में तेरापंथ सभा अध्यक्ष भूपतराज कोठारी, ज्ञानशाला प्रभारी डूंगरचंद सालेचा, पारमार्थिक शिक्षण संस्थान लाडनूं संयोजक मोतीलाल जीरावला, अणुव्रत समिति मंत्री सफरु खान, महेंद्र तातेड़, प्रवीण भंसाली, सतीश भंसाली, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष कंचनदेवी ढ़ेलडिया, पुष्पादेवी बुरड़ सहित अनेक वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। तेरापंथ महिला मंडल व तातेड़ परिवार की महिलाओं द्वारा अलग-अलग सामूहिक गीतिकाओं का संगान किया गया।
रैली से पूर्व अणुव्रत समिति जसोल द्वारा अणुव्रत द्वार के प्रायोजक सुरेश कुमार भंसाली सुपुत्र स्व. डूंगरचंद भंसाली का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन कान्तिलाल ढ़ेलडिया ने किया।