11 की तपस्या का संकल्प कर मासखमण कर दिखलाया

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11 की तपस्या का संकल्प कर मासखमण कर दिखलाया

उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी के सान्निध्य में मासखमण अनुमोदना कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुनि श्री ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान युग उपभोक्तावादी युग है। व्यक्ति दिन में कई बार खाता-पीता है, फिर भी कमजोरी महसूस करता है। श्राविका केसर देवी परमार ने मुनि नमिकुमार जी के 51 की तपस्या पर 11 की तपस्या का संकल्प लिया था परंतु इन्होंने मासखमण कर मूल से ज्यादा ब्याज चुकाया है। इनकी तपस्या में परिवार के सब सदस्यों का समुचित सहयोग प्राप्त हुआ इसीलिए इनका मासखमण आज निर्विघ्न पूर्ण हो रहा है। इनका मनोबल देखकर परिवार के अन्य सदस्य भी अपना मनोबल बढ़ाएं और तपस्या का लाभ उठाएं। तपस्या से केवल आत्मा की ही उज्जवलता नहीं बढ़ती, नाना प्रकार के विजातीय तत्वों का भी शमन होता है, जिससे शरीर भी पूर्ण स्वस्थ बन जाता है। शरीर हमारा परम सहायक है, इसे सुरक्षित व स्वस्थ रखने के लिए तपस्या बड़ी सहायक होती है। तपस्या में जप, ध्यान, स्वाध्याय, कायोत्सर्ग, सामायिक, पौषध आदि का क्रम भी रहे तो बाह्य तपस्या के साथ अभ्यंतर तपस्या का क्रम भी चल सकता है। इस अवसर पर पारिवारिक सदस्यों ने मधुर गीत का संगान किया। कियारा परमार ने दादी की तप अनुमोदना में अपनी भावना व्यक्त की। साध्वी प्रमुखा श्री विश्रुतविभाजी द्वारा प्रदत संदेश का वचन चंदनमल धींग ने किया, जिसे महिला मंडल की सदस्याओं ने तपस्विनी बहन को भेंट किया। इस अवसर पर मुनि नमिकुमारजी ने 24 दिन की तपस्या एवं निशा इंटोदिया ने 22 दिन की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।