मासखमण तप अभिनंदन का कार्यक्रम आयोजित
मुनि सुमतिकुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में मासखमण तप अभिनंदन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुनिश्री ने कर्मवाद के सिदान्त को समझाते हुए कहा कि आत्मा के शुभ-अशुभ भावों से कर्म का बंधन होता है। हमारी आत्मा के शुभ भावों से सोने की बेड़ी एवं अशुभ भावों से लोहे की बेड़ी से आत्मा बंध जाती है। बेड़ी सोने की हो या लोहे की, है तो बन्धन ही। हमें अशुभ और शुभ में नहीं, शुद्ध भाव में जाना चाहिए, समता में रमण करना चाहिए। मुनिश्री ने भगवान महावीर के दृष्टांत के माध्यम से बताया कि आत्मा में बंधन का मूल कारण हमारे भाव हैं। हमें भावों में शुद्धता का विकास करना होगा और इसके लिए समता का विकास करना होगा, कषायों को शांत करना होगा। मुनिश्री ने चंचल बोहरा को 31 के प्रत्याख्यान करवाए। मुनि देवार्य कुमारजी ने कहा कि हिंसा के क्षेत्र में निमित्त भूत न बनें। अहिंसा और हिंसा के भेद हेतु हमारा विवेक जागृत होना चाहिए। तेरापंथ सभा के मंत्री प्रकाश कांकलिया ने साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी के संदेश वाचन किया। तेरापंथ महिला मंडल मंत्री सीमा मरलेचा ने बहिन चंचल बोहरा को आध्यत्मिक मंगलकामनाएं प्रेषित की। महिला मंडल की बहनों ने तप अनुमोदना गीतिका का संगान किया।