विवेक से किया गया तप होता है फलदाई

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विवेक से किया गया तप होता है फलदाई

मन का विद्यालय विवेक है। विवेक से किया गया तप फलदाई होता है। निर्णय करें और शक्ति के साथ तपस्या में जुट जाएं। जीवन में संतोष, शक्ति, पवित्रता तपस्या से संभव है, इससे आनंद की अनुभूति होती है। सुशील भूरा ने पहले उपवास से अधिक तप नहीं किया। तप के साथ स्वाध्याय करने से ज्ञान आराधना परिपक्व होती है। उपरोक्त उद्गार मासखमण तपस्वी सुशील भूरा के अभिनंदन समारोह में 'शासन गौरव' साध्वी राजीमती जी ने कहे। साध्वी समताश्रीजी ने साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी द्वारा प्राप्त संदेश का वाचन किया। तेरापंथ महिला मंडल एवं तेरापंथ युवक परिषद् ने समवेत स्वरों में गीतिका का संगान किया। भूरा परिजन ने तपस्या पर बधाई व अनुमोदना स्वर व्यक्त किए। तपस्वी सुशील भूरा ने देव, गुरु, धर्म का प्रताप व आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी की पुस्तक 'शक्ति का स्रोत' को अपनी प्रेरणा बताया। नव दीक्षित साध्वी मनोज्ञप्रभाजी ने व्रत ग्रहण करने की प्रेरणा दी। साध्वी वृन्द द्वारा 'भिक्षु बगिया में खुशियां छाई' गीतिका से समां बांध दिया। सभा अध्यक्ष शुभकरण चौरडिया, उपाध्यक्ष लाभचंद छाजेड़ ने अभिनंदन पत्र वाचन किया। आनंद भूरा, इंदरचंद बैद 'कवि', कोमल भूरा ने विचार व्यक्त किए। कुशल संचालन सभा मंत्री मनोज घीया ने किया।