मासखण तप अनुमोदना का कार्यक्रम
साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में खिलौनी देवी धर्मशाला के प्रांगण में राजकुमार सेठिया के मासखमण तप अनुमोदना का कार्यक्रम समायोजित हुआ। इस पावस के पांचवें मासखमण की हार्दिक अनुमोदना हर्षोल्लास के साथ की। साध्वी अणिमाश्रीजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि तपस्या वह दीपशिखा है, जो आत्मा को आलोकित करती है। तपस्या वह परमौषधि है, जो जीवन में सहजता व स्वस्थता का अवतरण करती है। तपस्या से जब व्यक्ति का अन्तर्मन प्राणित होता है, तब आनंद की अनुभूति का द्वार उद्घाटित होता है। सरलता व सौम्यता से तपस्वी का चेहरा चमकने लगता है। तपस्वी का आत्मबल, मनोबल, संकल्पबल, साधु-साध्विओं की प्रेरणा तथा पारिवारिकजनों का सहकार, ये धाराएं जब एक साथ मिलती है, तब मासखमण जैसी तपस्या की अनुमोदना का अवसर प्राप्त होता है। साध्वीश्री ने कहा भाई राजकुमार सेठिया इस पावस के पांचवें मासखमण तपस्वी के रूप में उपस्थित हुए हैं। चौदह सालों के बाद राजकुमार के जीवन में नया मोड़ आया है। हम यही कामना करते हैं कि यह लौ अब हमेशा प्रज्ज्वलित रहे, कभी मंद न पड़े। साध्वी वृंद ने पांचवें मासखमण की अनुमोदना में पाँच रागिनियों में पाँच गीतों के द्वारा तप की अनुमोदना की। पीतमपुरा सभाध्यक्ष लक्ष्मीपत भूतोड़िया ने साध्वी प्रमुखाश्रीजी के मंगल संदेश का वाचन करते हुए शुभकामना संप्रेषित की। दिल्ली सभाध्यक्ष सुखराज सेठिया, के. एल. जैन, महासभा उपाध्यक्ष संजय खटेड़, विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों ने भावाभिव्यक्ति दी। सभा मंत्री विरेन्द्र जैन ने अभिनंदन पत्र का वाचन किया। मंगल संगान पश्चिम दिल्ली महिला मंडल की बहिनों ने किया। तपस्वी का अभिनंदन सभा द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी कर्णिकाश्रीजी ने किया।