ज्ञानशाला से व्यक्तित्व का होता है निर्माण

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ज्ञानशाला से व्यक्तित्व का होता है निर्माण

मुनि जिनेशकुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा द्वारा संचालित ज्ञानशाला प्रकोष्ठ द्वारा निर्देशित बृहद कोलकाता दक्षिण बंगाल आंचलिक ज्ञानशाला प्रशिक्षक रिफ्रेशर कार्यशाला- 2024 का सफल आयोजन प्रेक्षा विहार में साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के तत्वावधान में आयोजित किया गया। कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक प्राध्यापक निर्मल नौलखा थे।
कार्यशाला में कुल 83 प्रशिक्षिकाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। कार्यशाला में उद्बोधन प्रदान करते हुए मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा- जीवन में ज्ञान का बहुत बड़ा महत्त्व है। बच्चों में ज्ञान विकास एवं संस्कार निर्माण का माध्यम बनती है- ज्ञानशाला। गुरुदेव तुलसी का महत्वपूर्ण अवदान है- ज्ञानशाला। ज्ञानशाला सद्गुणों की खान है। ज्ञानशाला से व्यक्तित्व का निर्माण होता है। ज्ञानशाला की एक महत्वपूर्ण कड़ी है- प्रशिक्षिकाएं। प्रशिक्षिकाएं निःस्वार्थ भाव से धर्मसंघ को अपनी सेवा दे रही है। वे निरवद्य सेवा कर अपूर्व निर्जरा कर रही हैं। वे अपने दायित्व का निर्वहन सम्यक् प्रकार से करती रहें जिससे ज्ञानशालाओं का और अधिक विकास होता रहे।
वरिष्ठ उपासक निर्मल नौलखा ने कहा- व्यक्ति सफलता चाहता है परंतु उसे सफलता मिल नहीं पाती, क्योंकि सफलता के तीन बाधक तत्व हैं- अज्ञान, प्रमाद और कषाय। ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाएं इन तीन बाधक तत्वों को दूर करें। ज्ञान का विकास करें, प्रमाद छोड़े और अपने कषाय पर नियंत्रण रखें, जिससे प्रशिक्षिकाएं और अधिक सफलता को प्राप्त कर सकती हैं। उपासक नौलखा ने द्विदिवसीय कार्यशाला में प्रशिक्षिकाओं को सुन्दर ढंग से प्रशिक्षण प्रदान किया। मंगलाचरण ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने किया। स्वागत भाषण दक्षिण हावड़ा सभा के अध्यक्ष लक्ष्मीपत बाफणा ने किया।
आंचलिक संयोजिका डॉ. प्रेमलता चौरडिया ने अपने विचार व्यक्त किये। आभार हेमलता बेगवानी ने किया। दोनों दिन प्रश्नोत्तर प्रतियोगिता का भी आयोजन हुआ। जिनमें प्रथम मंजु दुगड़ एवं सरोज दुगड़ दितीय चन्द्रकला कोचर, ममता जैन व तृतीय शांति धाड़ेवाल रही। कार्यशाला को सफल बनाने में दक्षिण हावड़ा सभा, आंचलिक समिति सदस्य संजय पारख, मनीषा भंसाली, हेमलता बेगवानी एवं विनिता पुगलिया आदि प्रशिक्षिकाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा।