गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी के 111वें जन्मदिवस पर विविध कार्यक्रम
आचार्य श्री तुलसी के 111वां जन्म दिवस के अवसर पर साध्वी डॉ. गवेषणाश्री जी ने कहा- आचार्य श्री तुलसी एक ब्रह्मर्षि, देवर्षि और राजर्षि थे। आचार्य श्री तुलसी उस व्यक्तित्व का नाम है, जिनकी ख्याति राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय दोनों क्षेत्रों में व्याप्त हो चुकी है। आचार्य श्री तुलसी उस विकास पुरुष का नाम है जिनके कण-कण में जवानी का जोश उभरता है। 18 घंटे श्रम करने के बाद भी वही ताजगी, वही स्फूर्ति, वही क्रियाशीलता। साध्वी दक्षप्रभाजी ने अपने सुमधुर स्वरों से सबको भावविभोर कर दिया। साध्वी मेरुप्रभाजी ने भी गीत का संगान किया। कार्यक्रम की शुरुआत ज्ञानशाला के ज्ञानर्थियों द्वारा तुलसी अष्टकम् से हुई। स्वागत भाषण माधावरम् ट्रस्ट के अध्यक्ष घीसुलाल बोहरा ने दिया। मुख्य अतिथि एवं जैन महा संघ के अध्यक्ष प्यारेलाल पितलिया ने भी अपने विचार व्यक्त किये। माधावरम कॉर्पोरेशन के चेयरमेन नंदकिशोर ने अपने विचार रखते हुए कहा कि सरकार द्वारा इस उद्यान एवं गली का नाम आपके गुरु के नाम से जोड़ा गया है। माधावरम् की कन्याओं ने आचार्य श्री तुलसी की साहित्य यात्रा की एक सुंदर प्रस्तुति दी। माधावरम की बहनों ने सुमधुर स्वरों के साथ प्रस्तुति दी। बालोतरा से समागत गायक प्रकाश श्रीश्रीमाल ने राजस्थानी गीत प्रस्तुत किया। मुख्य वक्ता राकेश खटेड़ ने आचार्य श्री तुलसी के अवदानों पर अपना वक्तव्य दिया। कार्यक्रम के अंतर्गत जैन विश्व भारती में चयनित सदस्यों एवं अमृतवाणी के पदाधिकारियों का सम्मान माधावरम ट्रस्ट द्वारा किया गया। साध्वीश्री ने श्रावक माणकचंद रांका को 11 प्रतिमा में से दूसरी प्रतिमा का प्रत्याख्यान करवाया। इस सन्दर्भ में सुरेश रांका ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन साध्वी मयंकप्रभाजी ने एवं धन्यवाद ज्ञापन ट्रस्ट के मंत्री पुखराज चोरड़िया ने दिया। तत्पश्चात माधावरम ट्रस्ट द्वारा दिवाली मिलन समारोह में कौन बनेगा ज्ञानवान प्रतियोगिता का आयोजन राजेश खटेड द्वारा आयोजित किया गया जिसमें कमला बाई आच्छा, लाड़बाई चोरडिया एवं सरोज बोहरा, कुलदीप रांका ज्ञानवान बने।