23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के 2900वें जन्म कल्याणक दिवस पर

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23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के 2900वें जन्म कल्याणक दिवस पर

पुरुषादानीय भगवान पार्श्वनाथ का जन्म कल्याणक दिवस मुनि मोहजीत कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन, मैसूर में उत्साहपूर्वक मनाया गया। दिवस की शुरुआत में श्रीमद् जयाचार्य द्वारा रचित पार्श्वनाथ स्तुति का संगान मुनि भव्य कुमार जी ने किया। इस अवसर पर मुनि मोहजीत कुमार जी ने कहा कि भगवान पार्श्वनाथ के जीवन में संवेदनशीलता और करुणा का विशेष स्थान था। उन्होंने स्वयं पर आने वाले उपसर्गों को करुणा के भाव से तिरोहित किया। उनका जीवन कष्टों के निवारण और मनोबल को सुदृढ़ करने का प्रेरणास्त्रोत है। जैन परंपरा से जुड़े प्राचीन आचार्यों ने भगवान पार्श्वनाथ की स्तुति में अनेक स्तोत्रों की रचना की है, जो आज भी भक्तजनों के कष्टों को दूर करने में सहायक हैं। मुनि जयेशकुमार जी ने प्रभु पार्श्वनाथ की महिमा को 24 तीर्थंकरों के बीच विशेष और अद्वितीय बताया। इस दिन के महत्व को रेखांकित करते हुए मुनि जयेशकुमार जी ने कहा कि आज मेरे अनन्य उपकारी 'शासनश्री' मुनि सुखलाल जी के प्रयाण को पांच वर्ष पूर्ण हो गए हैं। वे धर्मसंघ के एक प्रतिष्ठित संत थे, जिन्होंने अपने जनोपकारी कार्यों से हजारों-लाखों लोगों के जीवन को प्रेरित किया। मेरा भी सौभाग्य रहा कि मुझे उनके सान्निध्य में रहने और उनसे सीखने का अवसर प्राप्त हुआ। मुनिश्री की षष्ठम प्रयाण तिथि पर मैं उनके प्रति अपनी कृतज्ञता और श्रद्धा से अभिवादन करता हूं। इस अवसर पर मनोबल वृद्धि अनुष्ठान का आयोजन किया, जिसमें विभिन्न मंत्रों का सामूहिक उच्चारण और संगान किया गया। कार्यक्रम में मुनिवरों द्वारा पार्श्वनाथ स्तुति और उससे जुड़े कई मंत्रों व स्तोत्रों का संगान श्रावक समाज के साथ हुआ।