23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के 2900वें जन्म कल्याणक दिवस पर
साध्वी पावनप्रभाजी ठाणा-4 के सान्निध्य में के.आर. नगर के जैन तेरापंथ चावत भवन में भगवान पार्श्वनाथ का जन्म कल्याणक दिवस बड़े उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर साध्वी पावनप्रभाजी ने कहा - तीर्थंकर इस संसार के सर्वोच्च महामानव होते हैं। उनका इतिहास बेजोड़ और प्रेरणादायक होता है। उनके चरणों के प्रभाव से शेर और बकरी एक ही घाट पर पानी पीते हैं। तीर्थंकरों के आभामंडल में विरोध और द्वेष की भावनाएँ समाप्त हो जाती हैं। इसी शृंखला में भगवान पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर के रूप में प्रतिष्ठित हुए। उन्होंने अहिंसा, सत्य और समता का पाठ पढ़ाया। हमें भी उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए और इसे सफल बनाना चाहिए। साध्वी उन्नतयशाजी ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि तीर्थंकरों का जीवन संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणा है। साध्वी वृन्द ने सामूहिक रूप से गीतिका का संगान किया। कार्यक्रम में लगभग 1 घंटे में 'ऊँ पार्श्वनाथाय नम:' का सवा लाख से भी अधिक जप अनुष्ठान संपन्न हुआ। इसके अतिरिक्त लगभग 70 व्यक्तियों ने आयंबिल तप का सामूहिक अनुष्ठान किया। इसमें जैन परिवारों के साथ-साथ राजस्थानी समाज ने भी सक्रिय सहयोग दिया। कार्यक्रम में हिरियुर, होलेनरसिपुर, चामराजनगर, एच.डी. कोटे, हुनसूर, के.आर. पेर, नंजनगुड और नागपुर सहित लगभग 9 क्षेत्रों से श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही। प्रथम चरण में एक भव्य भक्त रैली निकाली गई, जिसमें ज्ञानशाला के बच्चों ने सुंदर झांकियाँ प्रस्तुत कीं। महिला मंडल ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। ज्ञानशाला के बच्चों ने एक नाटिका का प्रदर्शन किया। महेंद्र खंडेलवाल, तेजराज चौपड़ा, देवराज चौपड़ा, रमेश जैन, करिश्मा चावत, पुष्पा बोहरा आदि ने अपने भावों की अभिव्यक्ति की। स्वागत भाषण मनीष बोहरा और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सिद्धार्थ चावत ने किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी रम्यप्रभाजी ने किया।