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अनुशासन से संभव है विकास : आचार्य श्री महाश्रमण
76वें गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ कुकमा के अंगारजी गंगजी राठौड़ विद्यालय में पधारे। पूज्यवर ने अपनी अमृत देशना में भय, अनुशासन और संविधान के महत्व पर प्रकाश डाला।
भय : कारण और निवारण
पूज्यवर ने कहा कि भय किसे सताता है और किसे नहीं? इस पर विचार करें तो जैन दर्शन में मोहनीय कर्म की प्रवृत्तियों में भय भी एक प्रवृत्ति है। जब यह वेदनीय संस्कार उदय को प्राप्त होता है, तो व्यक्ति भयभीत हो जाता है। भय के कारण कई हो सकते हैं—कुछ लोग विशेष जीवों से डरते हैं, कुछ लोग बीमारी और मृत्यु से भयभीत रहते हैं। प्रमाद, गलतियाँ, चोरी, झूठ आदि भी भय का कारण बन सकते हैं। जहां नियमों का उल्लंघन होता है, वहाँ भय उत्पन्न हो सकता है। अतः यदि हम भय से मुक्त होना चाहते हैं, तो संयम और सत्य का पालन करें।
गणतंत्र दिवस और संविधान की महत्ता
आचार्यश्री ने कहा कि 15 अगस्त के बाद 26 जनवरी का भारत के लिए विशेष महत्व है। ये दिन राष्ट्र के प्रति हमारी जिम्मेदारी की भावना को जागृत करने वाले हैं। संविधान किसी भी देश के लिए अत्यंत आवश्यक होता है, क्योंकि यह व्यवस्था को बनाए रखता है। भारत का संविधान लोकतांत्रिक ढांचे पर आधारित है, जहाँ न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। न्याय के साथ दंड संहिता भी आवश्यक होती है, क्योंकि गलत कार्यों पर दंड मिलने से अन्य लोग भी सतर्क रहते हैं। इसी प्रकार, अनुशासन प्रत्येक संस्था और संगठन में आवश्यक है, क्योंकि अनुशासन से ही विकास संभव है।
लोकतंत्र और नैतिक जिम्मेदारी
आचार्यश्री ने कहा कि लोकतंत्र जनता के द्वारा, जनता के लिए शासन की व्यवस्था है। संविधान को पालन करने वाले भी होने चाहिए और उसका पालन करवाने वाले भी। न्यायपालिका का अंकुश हो तो व्यक्ति सही मार्ग पर चलता है। जहाँ राष्ट्र का प्रश्न आता है, वहाँ राष्ट्र सर्वोपरि होना चाहिए। राजनीतिक दल भी देशसेवा के लिए ही होते हैं। देश के नागरिकों को शांति, मैत्री और धर्म-अहिंसा के मार्ग पर चलना चाहिए, तभी राष्ट्र कल्याण की ओर अग्रसर हो सकता है।
मुख्य प्रवचन से पूर्व विहार के दौरान रतनाल नामक गांव में आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में झण्डोत्तोलन का कार्यक्रम समायोजित किया गया। वहां आचार्यश्री ने समुपस्थित जनता व विद्यार्थियों को पावन पाथेय भी प्रदान किया। पूज्यवर के स्वागत में कुकमा गांव पंचायत की सरपंच रसीला बेन की ओर से उत्तमभाई राठौड़ ने अपनी भावना व्यक्त की। अंगारजी गंगजी राठौड़ विद्यालय के हरगोविंद भाई चौहान एवं गाँव की ओर से देवराज भाई ने भी अपने विचार रखे। अपने संसारपक्षीय क्षेत्र भुज-कच्छ में चातुर्मास संपन्न कर गुरु दर्शन करने वाले मुनि अनंतकुमारजी ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।