अनुशासन से व्यक्ति बनता है महान

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अनुशासन से व्यक्ति बनता है महान

आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी ने शांतिनिकेतन सेवा केंद्र में विशेष प्रवचन के दौरान श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में अनुशासन का बहुत बड़ा महत्व है। अनुशासन से व्यक्ति महान बनता है। एक समय था जब प्रत्येक क्षेत्र में भारत विश्व गुरु था। इसका मुख्य कारण भारतीय नागरिकों में अनुशासनमय जीवन शैली का होना था। आज सर्वग्राही अनुशासनहीनता से देश में अशांति, अराजकता, हिंसा, त्याग भावना की कमी, आत्म संयम की कमी, चरित्र बल, नैतिकता व मानवीय मूल्यों की दिन प्रतिदिन गिरावट आ रही है। निज पर शासन फिर अनुशासन के मंत्र से हम फिर से संसार में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर सकते हैं।
मुनि श्रेयांश कुमार जी के 9 की तपस्या के अवसर पर मुनिश्री ने कहा कि इस भयंकर सर्दी में तपस्या करना उच्च मनोबल का कार्य है। तपस्या कर्म निर्जरा का मुख्य हेतु है। आत्म शोधन प्रक्रिया में तप के द्वारा परिमार्जन होता है। संचित कर्म परमाणुओं का शोधन तप के द्वारा होता है। तप मुक्ति का पथ है। मुनिश्री ने तप की अनुमोदना करते हुए जनता से अधिक से अधिक त्याग तपस्या करने का आह्वान किया।
मुनि कमलकुमार जी के प्रेरणा से प्रतिदिन चार घरों में उपवास व प्रत्येक रविवार को नवकार मंत्र के जाप का क्रम शुरू किया गया है। उन्होंने अपने जीवन के अनुभव सुनाते हुए कहा कि जैन धर्म का आधार इन्द्रियों पर संयम करना है। सामायिक का अभ्यास मानसिक और शारीरिक शुद्धि के लिए किया जाता है। इसमें इन्द्रियों को नियंत्रित करके आत्मा के स्वरूप का चिंतन किया जाता है। जैन धर्म में तपस्या और त्याग, इन्द्रियों पर संयम का माध्यम है। अनशन (उपवास), एकासन और व्रत के माध्यम से इन्द्रियों की इच्छाओं को दबाया जाता है। संलेखना जैन धर्म में इन्द्रियों और इच्छाओं पर संयम की चरम अवस्था मानी जाती है।